चेन्नई. साहुकारपेट के जैन स्थानक में विराजित जयधुरंधर मुनि के सानिध्य में रविवार को सामायिक और एकासणा के साथ आचार्य जयमल, हरकचंद और रावतमल मुनि का पुण्यस्मृति दिवस मनाया गया। इस मौके पर जयधुरंधर मुनि ने कहा कि साधना, आराधना और जीवन को अच्छे मार्गो पर जोडऩे का उपदेश देकर अनेकों महापुरुषों ने मनुष्य के लिए कल्याण का कार्य किया है।
महापुरुष किसी सीमा से नहीं बंधते बल्कि वे सभी के लिए होते हैं। महापुरुषों की पुण्यतिथि मना कर सभी को अपने कर्मो की निर्जरा कर लेनी चाहिए। उन्हें याद करने और पुण्यतिथि मनाने से ही जीवन में बदलाव नहीं आएगा बल्कि उनके बताए मार्ग का अनुसरण करने से जीवन बदलेगा। उन्होंने कहा कि इन महापुरुषों ने संस्कार का प्रवचन देकर हजारों लोगों के जीवन को बदल दिया है।
जयपुरन्दर मुनि ने कहा कि अगर मनुष्य इस जीवन में अच्छे कार्य नहीं करता तो उसकी मृत्यु बहुत ही कष्टदाई साबित हो सकती है। बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो आते हैं और बिना कुछ किए ही दुनिया से चले जाते हैं लेकिन ऐसे जाने से जीवन व्यर्थ हो जाता है। बहुत ही कष्टों के बाद यह जीवन मिला है तो इसे ऐसे नहीं गवाना चाहिए।
बल्कि कुछ ऐसा कर गुजरना चाहिए जिससे जाने के बाद भी लोगों के दिल में घर कर जाएं। अच्छे कार्य की वजह से ही दुनिया महापुरुषों को आज भी याद करती है। जयकलश मुनि ने एक गीत के माध्यम से गुरु भगवंतों के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की। संघ के अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी ने स्वागत किया।
जय संस्कार महिला मंडल ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। नेमीचंद कर्नावट, ललेश कांकरिया सहित अन्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए। संस्कार मंच द्वारा रोज मिल्क का वितरण किया गया।
इस मौके पर अतिथि के रूप में तमिलनाडु जैन कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष महावीरचंद रांका, जवरीलाल बरमेचा पारसमल गादिया, नरेंद्र मरलेचा, पारसमल बोहरा, ज्ञानचंद मुणोत, विमलचंद साखला, किशोर खारीवाल, उपस्थित थे। कार्यक्रम में विशेष सहयोग गौतम दुगड़, पंकज-ज्ञानचंद भंडारी विजयराज दुगड़, जेपी ललवानी, दुलीचंद छाजेड़ व मंगलचंद खारीवाल भी उपस्थित थे।