जब चंद्रमा, बृहस्पति और शनि ग्रह; सूर्य के साथ एक रेखा में होते हैं तो 144 सालों में एक बार महाकुंभ का योग बनता है। ऐसा ही एक महाकुंभरूपी योग इस वर्ष हमारी जैन गुरु परंपरा में भी बन रहा है क्योंकि इस वर्ष चार-चार गुरुओं के शुभ जयंती वर्ष एक ही वर्ष में आ रहे हैं। इस वर्ष श्रमण संघीय चतुर्थाचार्य, ध्यान प्रणेता, तप सूर्य गुरुदेव श्री शिव मुनि जी महाराज साहब का आचार्य पद चादर समर्पण रजत जयंती वर्ष शुरु हो रहा है। शिवाचार्य गुरुदेव को 7 मई 2001 को आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया गया था। आचार्य भगवन् अपने प्रयासों से श्रमण संघ को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।
दूसरे; श्रुताचार्य, वाणी भूषण, उत्तर भारतीय प्रवर्तक गुरुदेव श्री अमर मुनि जी महाराज साहब के संयम का अमृत वर्ष गतिमान है, जिसके चलते उनके शिष्यों और गुरुभक्तों में अति विशेष आनंद, उत्साह, उमंग और खुशी की लहर देखने को मिल रही है। गुरुदेव का नाम उत्तर भारत ही नहीं अपितु पूरे भारत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनकी शिष्य परंपरा पूरे भारत में विचरण कर जिनशासन की सेवा कर रही है।
तीसरे; श्रमण संघीय उप प्रवर्तक, धर्म विभूषण, सेवा सुमेरु, परम सेवाभावी गुरुदेव श्री पंकज मुनि जी महाराज साहब का षष्ठीपूर्ति वर्ष ; इस वर्ष है। उनके वय स्थविर बनने के इस वर्ष में गुरुभक्तों में विशेष उत्साह और गुरुभक्ति देखने को मिल रही है। गुरुदेव श्री जी मिलनसारिता की मिसाल, नवकार मंत्र-जप के साधक, सेवा की प्रतिमूर्ति हैं तथा भोले बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं। सभी छोटे-बड़े संतों की सेवा का गुरुदेव विशेष ध्यान रखते हैं और सभी के प्रति वात्सल्यपूर्ण भावों से ओत-प्रोत हैं। इनकी सरलता और सादगी सभी के हृदयों को स्पंदित कर देती है।
चतुर्थ; ललित लेखक, दक्षिण सूर्य, परम पूज्य गुरुदेव डॉ० श्री वरुण मुनि जी महाराज सा. ‘अमर शिष्य’ के संयम का रजत जयंती वर्ष 7 मई 2025 को शुरु होने जा रहा है। अनवरत ज्ञानाराधक, विशेष मौन साधक, लेखक, संपादक डॉ० श्री वरुण मुनि जी महाराज की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। इनका व्यक्तित्व बहुत ही चुंबकीय, प्रभावशाली, मिलनसारिता और आत्मीयता से परिपूर्ण है। हर जगह गुरुदेव श्री वरुण मुनि जी “अमर शिष्य” के नाम से प्रसिद्ध हैं। इनकी ज्ञानार्जन की अतीव उत्कंठा और ज्ञानाराधना सभी को ज्ञानप्राप्ति के मार्ग की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। श्रुताचार्य गुरुदेव श्री अमर मुनि जी के सचित्र आगमों के संपादन में इनका विशेष योगदान है।
इस प्रकार ये चारों ही जयंती वर्ष, एक ही वर्ष में आने से इस महाकुंभ के वर्ष 2025 में हमारे लिए भी गुरुओं के जयंती वर्षों का एक महाकुंभ-सा आयोजित हो गया है। सभी गुरुभगवंतों के पावन पाद-पंकजों मे वंदन-नमन-अभिवंदन करने के साथ-साथ हम शासनेश प्रभु भगवान महावीर स्वामी से गुरुदेवों के निमित्त मंगलभावना भाते हैं और उज्ज्वल भविष्य की प्रार्थना करते हैं। इन सभी गुरुओं का सान्निध्य एवं महान व्यक्तित्व हमारा जीवनरूपी पथ आलोकित व प्रदर्शित करता रहे।
हमारी ओर से चारों गुरुदेवों को जयंती वर्ष की अनंतानंत शुभकामनाएँ प्रेषित की जाती हैं।
अंत में:
“गुरुदेवों की पावन जयंती मनाएँ,
जीवन अपना धन्य बनाएँ।
जतन कुछ ऐसा हो जाए,
काश इन जैसे हम जो जाएँ। “
संजीव जैन, करनाल (हरियाणा)