माधावरम्, चेन्नई; श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट के तत्वावधान में मुनि श्री सुधाकरजी जैन तेरापंथ नगर, जय समवसरण मे प्रवचन करते हुए कहा कि जीवन में प्रवृति और निवृत्ति का सन्तुलन जरूरी है। खाने के साथ, नहीं खाने का अभ्यास भी जरूरी है। खाद्य संयम के विविध प्रकार है। अपनी शक्ति के अनुसार उनका अनुसरण करना चाहिये। जैन धर्म की साधना में ऊनोदरी तप का बहुत महत्व बताया है, उसका तात्पर्य हैं भूख से कम खाना, अपने पेट को हल्का रखना। इसी प्रकार बोलने के साथ प्रतिदिन थोड़ा मौन व्रत भी करना चाहियेl
आज हर मनुष्य का मस्तिष्क विचारों से बहुत भारी हो रहा है। इससे नाना प्रकार के रोग और तनाव बढ रहे है। ध्यान और स्वाध्याय से मष्तिष्क की मशीन को हमें विश्राम देना चाहिये। प्रेक्षाध्यान के यौगिक प्रयोगों से हम मानसिक रोगों और तनावों से छुटकारा पा सकते है। जो लोग प्रवृति के साथ निवृति का अभ्यास नहीं करते है, उनका जीवन नाना प्रकार की समस्याओं से ग्रसित हो जाता है। मुनि श्री नरेशकुमारजी ने गीतिका का संगान कियाl
इस अवसर पर मुनि श्री नरेशकुमारजी के संसारपक्षीय भाई एवं भाभीजी दर्शनार्थ पधारे। उनका श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट द्वारा उनका सम्मान किया गयाl कार्यक्रम संयोजिका अंजू फूलफगर ने बताया रविवार को मुनिश्री के सान्निध्य मे पॉजिटिव पावरफुल टिप्स एंड सीक्रेट्स फार एफेक्टिव पेरेंटिंग का आयोजन जैन तेरापंथ नगर, जय समवसरण में आयोजित किया जायेगाl जिनमे मुनिश्री बच्चो के संस्कार निर्माण एवं अभिभावकों के कर्तव्य पर प्रवचन के माध्यम से विशेष प्रकाश डालेंगेl
समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती
मीडिया प्रभारी : श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई