तिरुचि :- आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री उज्ज्वलप्रभाजी के सान्निध्य में तेरापंथ का महापर्व मर्यादा महोत्सव मनाया गया। साध्वीश्रीजी ने अपने प्रवचन में कहा सर्वोत्तन्मुखी विकास का सोपान है मर्यादा। मर्यादा सुरक्षा कवच है। आचार्य भिक्षु ने तेरापंथ धर्म संघ को जो मर्यादाएं दी वे आत्मोत्थान के लिए वरदान है, जिस प्रकार जड़ों से टिक कर दरखत फलता है, उसी प्रकार मर्यादाओं में रहकर व्यक्ति अपनी मंजिल को पा लेता है।
साध्वी श्री अनुप्रेक्षाश्रीजी ने कहा – अनुशासन एक उपाय है, आत्मानुशासन को जागृत करने का, अध्यात्म की चेतना को झकृंत करने का। अनुशासित साधक ही साध्य तक पहुंचता है।
साध्वी सन्मतिप्रभाजी ने अपने विचार रखते हुए कहा तेरापंथ धर्मसंघ का संगठन अद्धभुत है। मर्यादा इसका प्राणतत्व है। विल्लुपुरम, कुंभकोणम, पांडिचेरी से समागम भाई बहनों का स्वागत सुनिल सुराणा ने किया। स्थानीय उत्साही करण बोथरा, मनीष बोथरा एवं हर्षित बोथरा ने भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया।
महिला मंडल की बहनों ने तेरापंथ धर्मसंघ की मर्यादा, अनुशासन, श्रद्धा, समर्पण, सेवा, संगठन, व्यवस्था को उजागर करते हुए रोचक प्रस्तुति दी। तेरापंथ सभा अध्यक्ष अजीतजी बोथरा, ज्योति सुराणा, विल्लुपुरम से राजेश सुराणा, कुंभकोणम से अनुज सेठिया, पांडिचेरी से हेमराजजी कुडलिया ने अपने विचार रखे।
ज्ञानशाला से वंशिका एवं तरंग ने प्रस्तुति दी। संचालन साध्वी प्रबोधयशाजी ने किया। आभार ज्ञापन कमलजी सुराणा ने किया ।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई
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