Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

मर्यादा जीवन विकास का मूल मंत्र : मुनि श्री कमलकुमार

तेरापंथ के महाकुंभ 157वें मर्यादा महोत्सव पर आयोजित हुआ भव्य कार्यक्रम

  मुनि श्री नमिकुमारजी ने 30 दिनों की तपस्या का किया प्रत्याख्यान

तेरापंथ धर्मसंघ का 157वॉ मर्यादा महोत्सव आचार्य श्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती उग्रविहारी, तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमारजी ठाणा 3 के सान्निध्य में आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन स्कूल, जैन तेरापंथ नगर, माधावरम् में आयोजित किया गया।
 

इस अवसर पर मुनि श्री कमलकुमार जी ने धर्म परिषद् को सम्बोधित करते हुए कहा कि मर्यादा एवं अनुशासन तेरापंथ धर्मसंघ का प्राण हैं। एक गुरु और एक विधान इस संघ का आधार है। मर्यादा एक सीमा रेखा ही नहीं अपितु जीवन विकास का मूल मंत्र है। मुनि श्री ने आगे फरमाया कि तेरापंथ के आध्यप्रवर्तक आचार्य श्री भिक्षु स्वामी ने तेरापंथ धर्मसंघ की नींव रखी और उसे मजबूत बनाये रखने के लिए विक्रम संवत् 1859 माघ शुक्ला सप्तमी को अंतिम मर्यादा पत्र लिखा। जिसे अपना मूल ध्येय मान पिछली दो शताब्दियों से भी अधिक समय से तेरापंथ धर्मसंघ अपना विकास कर रहा है।

चतुर्थ आचार्य श्रीमद् जयाचार्य  ने वि. सं. 1921 को बालोतरा (राजस्थान) में इस दिन को व्यवस्थित रूप से मर्यादा महोत्सव के रुप में मनाना प्रारम्भ किया। आज 157वॉ मर्यादा महोत्सव आचार्य श्री महाश्रमणजी के सान्निध्य में रायपुर में मनाया जा रहा है। तेरापंथ धर्मसंघ के इस महाकुंभ के अवसर पर काफी संख्या में बहिर्विहारी साधु-साध्वियाँ गुरु सन्निधि में पहुंचते हैं। पुज्य प्रवर उनकी सारणा-वारणा करते हैं। सेवा, सुश्रुषा आदि की व्यवस्था के साथ चाकरी एवं चातुर्मास की घोषणा करते हैं। श्रावक समाज के लिए आगामी करणीय कार्यों की दिशा निर्देश एवं रूपरेखा प्रदान करते हैं। इससे धर्मसंघ में नई ऊर्जा का संचार होता है और समाज एवं संगठन दीर्घजीवी बनता हैं।
  श्रावक समाज को विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए मुनि श्री ने आगे फरमाया कि अपने मांगलिक कार्यक्रमों में जैन संस्कार विधि का अधिक से अधिक उपयोग एवं प्रचार-प्रसार होना चाहिए। धर्म की शरण, अरहंत देव की आराधना करनी चाहिये। अपने बच्चों को संस्कारी बनाएं रखने के साथ, उनको संघ की रीति नीति से अवगत कराना चाहिए। उनमें जैनत्व के संस्कार पुष्ट करने चाहिए। तत्व को समझे, स्वाध्याय एवं कंठस्थ ज्ञान बढ़ाकर उपासक बन कर कर्म निर्जरा के साथ औरों की ज्ञान वृद्धि में सहयोगी बनना चाहिए एवं संघ सेवा में अपना समय नियोजित करना चाहिए। प्रतिदिन प्रेक्षाध्यान का प्रयोग करने से व्यक्ति का जीवन टेंशन मुक्त रह सकता हैं। प्रत्येक परिवार में प्रतिदिन प्रातः या सायंकालीन नमस्कार महामंत्र का कम से कम 5 मिनट तक जाप होना चाहिए एवं सायंकालीन लोगस्स एवं अर्हत वंदना  सामूहिक करना चाहिए। शनिवार सायं 7:00 से 8:00 सामायिक परिवार के प्रत्येक सदस्य को करनी चाहिए।


   मुनि श्री अमनकुमारजी एवं मुनि श्री नमिकुमारजी ने फरमाया कि पारिवारिक सदस्यों में मर्यादा आ जाए तो परिवार खुशहाल बन जाता हैं। मर्यादित समाज भी विकास के नए-नए आयामों को छू सकता है एवं चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर हो सकता हैं।

   मुनि श्री नमिकुमारजी ने आज 30 दिनों की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। तेरापंथ सभा क प्रचार प्रसार प्रभारी श्री स्वरूप चन्द दाँती ने बताया कि मुनि श्री 23 तारीख मंगलवार को 33 की तपस्या का प्रत्याख्यान करेंगे और उसी दिन आपके तपोभिनन्दन के रूप में सायंकालीन भक्ति संध्या काव्यांजलि का आयोजन माधावरम् स्कूल में किया जायेगा।

    मुनि श्री कमलकुमारजी के नमस्कार महामंत्र के मंगल स्मरण एवं प्रतिदिन के आध्यात्मिक अनुष्ठान से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़, आचार्य महाप्रज्ञ तेरापंथ जैन विद्यालय के चेयरमैन श्री प्यारेलाल पितलीया, तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष श्री रमेश डागा, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती शांति दूधोड़िया, ट्रिप्लीकेन तेरापंथ ट्रस्ट के मंत्री श्री विजयराज गेलड़ा, उपासक श्री जयंतीलाल जी सुराणा, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष श्री सुरेश सकलेचा, श्रीमती मालाबाई कातरेला ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। जैन तेरापंथ नगर की महिलाओं ने मर्यादा महोत्सव पर गीतिका की प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थीयों ने लघु नाटिका के माध्यम से मर्यादा पर एक विशेष प्रेरणादायक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन तेरापंथ सभा के मंत्री श्री प्रवीण बाबेल ने किया। संघगान के साथ आज के कार्यक्रम का समापन हुआ।

   मर्यादा महोत्सव की पूर्व संध्या पर रात्रि में काव्यांजलि का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें काफी अच्छी संख्या में श्रोताओं ने भाग लिया। वक्ताओं ने अपने वक्तव्य, गीतिका, कविता, मुक्तक आदि के साथ अपनी प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन उपासक श्री पदमचंद आंचलिया ने किया।

      – : प्रचार प्रचार प्रभारी : –
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, चेन्नई फोटो न. 41 मुनि श्री बताते हुए कि एक गुरु और एक विधान तेरापंथ धर्मसंघ का आधार है।

            स्वरुप चन्द दाँती
          प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar