161वें मर्यादा महोत्सव का हुआ समायोजन
अनेकानेक क्षेत्रों का श्रावक समाज हुआ उपस्थित
कडलूर : मर्यादाएँ हमारे जीवन का निर्माण करती हैं, उसे महकाती हैं, सजाती है, संवारती हैं। जो मर्यादा की लक्ष्मण रेखा में रहता है, वह श्रेष्ठता को प्राप्त करता है। उपरोक्त विचार कडलूर जैन संघ भवन में तेरापंथ धर्मसंघ के 161वें मर्यादा महोत्सव पर ‘मर्यादा अपनाएं – जीवन सजायें’ विषय पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि हिमांशुकुमार ने कहे।
मुनिप्रवर ने आगे कहा कि भगवान महावीर की शिक्षा है कि जो भी नियम, मर्यादा के तार से जुड़ा रहता है, सीमित रहता है, वह मुक्ति को पा सकता है। 250 वर्षों पूर्व आचार्य भिक्षु ने नेक और साफ रास्ते पर गतिशील होते हुए- आचार क्रांति, विचार क्रांति और संघीय क्रांति की। संघ, संगठन की मजबूती के लिए वि. सं. 1832 में मर्यादाओं का निर्माण किया, संविधान बनाया।
मुनिवर ने पाँचों मूल मर्यादाओं का वाचन, विश्लेषण करते हुए बताया कि ये मर्यादाएँ आज भी यथावत बनी हुई हैं। उसी मर्यादाओं से, मर्यादित जीवन में साधु और श्रावक समाज अपना आध्यात्मिक, सामाजिक उत्थान कर रहे हैं।
मुनिश्री ने श्रावक समाज को विशेष पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि व्यक्ति को निम्नलिखित पाँच लक्ष्मण रेखाओं में रहना चाहिए ..
1. भ्रमण रेखा- कहां, कब और किसके साथ जा रहे हैं, इसका चिंतन रहे।
2. मनोरंजन रेखा- संस्कृति और संस्कारों को नुकसान पहुंचाने वाले मनोरंजन से दूर रहें।
3. वस्त्र रेखा- ऐसे वस्त्र जिससे हमारे मन में या सामने वाले के मन में चंचलता पैदा हो, उसे नहीं पहने।
4. संबंधों की रेखा- किसके साथ, कितना संबंध रखना चाहिए, उसका ध्यान रखें।
5. विवाद रेखा- विशेषकर परिजनों के साथ में वाद- विवाद होने पर भी बोलना नहीं छोड़ना चाहिए और कोर्ट कचहरी जाने से तो बचना चाहिए।
● मर्यादा पर श्रद्धा करना और उसे स्वीकार करना चाहिए
मुनि हेमन्तकुमार ने कहा कि जिसे खुशी-खुशी स्वीकार की जाती हैं, वह मर्यादा सुखद होती हैं। जीवन को उन्नत बनाने के लिए हृदय से मर्यादाएं स्वीकार करनी चाहिए, मर्यादा पर श्रद्धा करना और उसे श्रद्धा से स्वीकार करना चाहिए। जीवन संरक्षण के लिए तीन मर्यादाओं से ओतप्रोत रहना चाहिए-
1. व्यक्तिगत मर्यादा- आत्मा की उज्जवलता के लिए अपनी श्रद्धा, आस्था, विश्वास अडिग, स्थिर, दृढ़ रहना चाहिए।
2. पारिवारिक मर्यादा- खान पान की विशेष शुद्ध रहनी चाहिए।
3. सामाजिक मर्यादा- न स्वयं गलत कार्य करना और ना ही गलत के लिए प्रेरित करना चाहिए।
इससे पूर्व नमस्कार महामंत्र समुच्चारण के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। स्थानीय महिलाओ ने मंगलाचरण गीत प्रस्तुत किया। तेरापंथ उपसभा संयोजक श्री सोभागमल सांड ने स्वागत स्वर प्रस्तुत करते हुए आभार व्यक्त किया। मर्यादा महोत्सव कार्यक्रम में स्थानीय जनता के साथ चेन्नई, सिरकाली, विल्लुपुरम, तिड़ीवनम, तिरूवल्लूर, चिदम्बरम, पोरेयार, पाण्डिचेरी, पक्षीतीर्थ, मूदरातंगम, वलवानूर, तिरुकोइलूर इत्यादी अनेको क्षेत्रों के श्रावक समाज उपस्थित हुए। अंत में संघगान के पश्चात तपस्या प्रत्याख्यान और मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
समाचार संप्रेक्षक : स्वरूप चन्द दाँती