जय जितेंद्र, कोडमबाक्कम् वड़पलनी श्री जैन संघ के प्रांगण में आज तारीख 2 अगस्त मंगलवार, प.पू. सुधाकवर जी मसा के मुखारविंद से:-आत्म निंदा और परनिंदा का फर्क क्या है..?
एकांत में अपना परीक्षण निरीक्षण करना, दूसरों के गुणों को अपनाना आत्म निंदा कहलाता है! आज के युग में आत्मा निंदा करने वाले कम और पर निंदा करने वाले ज्यादा लोग हैं! दोषी व्यक्ति हमेशा परनिंदा करके अपनी आत्मा की चादर को मलिन कर लेता है! निंदा करना या सुनना, दूसरों पर आरोप लगाना हमारे लिए घातक सिद्ध होता है, और हमारे जीवन को पतन की ओर ले जाता है! परनिंदा करके अपनी जिह्वा को मलिन करना, निंदक व्यक्ति के साथ रहकर गुण या अवगुण ग्रहण करना हमारे ऊपर निर्भर करता है! बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो और बुरा मत कहो, यही जीवन के शांति के सर्वश्रेष्ठ मंत्र है!
सुयशा श्री जी के मुखारविंद से:-“A” for “Avoid anger:-गुस्सा आना और गुस्सा करना दोनों अलग बात है! कितने भी गुस्से में हो तो हम कीमती वस्तुएं फेंक नहीं देते हैं उन्हें संभाल कर रखते हैं! घरवालों पर गुस्सा करना और बाहर वालों पर गुस्सा आना और फिर संभाल लेना अलग अलग बात है!
“B” for boundary:-
हमारे जीवन में हर रिश्ते को निभाने की सीमा होती है! माता पिता का नियंत्रण और टोकना हमारे जीवन को संवारता है! बिना चिमनी के दीपक और चिमनी के दीपक को खिड़की के पास रख दिया जाए तो बिना चिमनी का दीपक बुझ जाएगा!माता पिता चिमनी का काम करते हैं! रेल ट्रैक पर चलती है तो अपनी मर्यादा में रहती है और वह गुमती नहीं है! बस चारों तरफ घूमती है और वह गुम भी सकती है! पतंग जब तक डोर से बंधी है वह जमीन से जुड़ी है एक बार डोर कट गयी तो फिर उसका सर्वनाश निश्चित है! हम भी जब तक जमीन से जुड़े हैं अपनों से जुड़े हैं तब तक व्यवस्थित हैंं। स्वतंत्रता मे हमारा जीवन मर्यादित और सुरक्षित रहता है! स्वच्छंदता (उद्दंडता) मैं हमारा जीवन मलिन और पतन होता है!
“C” for chemical changes:-
हर व्रत, तपस्या, सौगंध, प्रत्याख्यान जिस उद्देश्य से लिए गए उसी के अनुसार उसका पालन करना चाहिए! इसमें गली नहीं निकालना चाहिए! हमारा जीवन पानी से बर्फ, बर्फ से पानी, पानी से भाप बन जाने वाला “भौतिक परिवर्तन” (physical change) जैसा नहीं होना चाहिए! हमारा जीवन दूध से दही, दही से मक्खन, मक्खन से घी जैसे रासायनिक परिवर्तन (chemical changes) जैसा होना चाहिए! जिससे जीवन हमेशा उत्थान की तरफ बढ़े और उत्कृष्ट बने! आज की धर्म सभा में श्रीमान अशोक जी तालेड़ा ने 30 उपवास, श्रीमती सुशीला जी बाफना ने 22 उपवास, मनीषा जी लुंकड़ ने 17 उपवास के प्रत्याख्यान किए। इसी के साथ कई धर्म प्रेमी बंधुओं ने विविध तपस्याओं के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।