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मरुधर केशरी का स्मृति दिवस व आचार्य हस्तीमल की जन्म जयंती मनाई

कडलूर. यहां पारसनाथ मंदिर में विराजित उपप्रवर्तक विनयमुनि और गौतममुनि के सानिध्य में रविवार को मरुधर केशरी मिश्रीमल का 35वां पुण्य स्मृति दिवस और आचार्य हस्तीमल की 105वीं जन्म जयंती मनाई गई। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत संजयमुनि के मंगलाचरण से हुई।
गौतममुनि ने कहा देवगुरु के चरणों में अपनी अंतर्भावनाएं व्यक्त करने के लिए इस अवसर का लाभ ले लेना चाहिए। जीवन में कुछ धर्माचरण करने के लिए महापुरुषों की स्मृतियां और जयंतियां शिक्षा देती हंै। परमात्मा और गुरुदेव की भक्ति जीवन में बदलाव लाने के लिए की जाती है।
उन्होंने कहा महापुरुषों का गुणानुवाद करने से ही नहीं बल्कि उनके उपदेशों को जीवन में उतारने से बदलाव आता है। मरुधर केशरी व आचार्य हस्तीमल का जीवन बहुत ही सरल था। उन लोगों के आदान प्रदान से संघों में एकता बढ़ती थी। कई बार ऐसे मौके आए जब दोनों गुरुओं ने एक साथ प्रवचन देकर लोगों को नई दिशा दिखाई। महापुरुषों की जन्म जयंती और स्मृति दिवस पर संतों का समागन होता है। 
उन्होंने कहा ऐसे मौके आने से जीवन में आचरण करने की शिक्षा मिलती है। गुरुदेवों की स्मृति करने से सुंदर जीवन का विकास होता है। विनयमुनि ने मरुधर केसरी के जीवन चरित्र पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा वे ऊपर से कठोर लेकिन अंदर से नरम थे। अपने जीवन काल में उन्होंने अनेक गौशालाओं एवं सामाजिक संस्थाओं का निर्माण कराया।
आचार्य हस्तीमल ने हमें सामायिक एवं स्वाध्याय का पाठ पढ़ाया। इस अवसर पर संघ अध्यक्ष दिलसुखमल मेहता, मंत्री मूलचंद गोलेछा, रोडमल  भंडारी, नथमल साकरिया, पदम सिंघवी और रिखबचंद नाहर  सहित अनेक लोग उपस्थित हुए। संचालन कुशल धारीवाल ने किया।  सेलम, चेन्नई, चिदंबरम, मायावरम, विल्लीपुरम, पुद्दुचेरी सहित अन्य जगहों से भी श्रद्धालु उपस्थित हुए।

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