आज शुरू होगा 18 दिवसीय नवग्रह अनुष्ठान
चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा जो मन को जीत लेता है वह जग को जीत लेता है। जिनका मन पर नियंत्रण होता है हर जगह सफल होते जाते हैं।
अनियंत्रित मन होने पर जीवन में असफलता मिलती है। जीवन मे प्रत्येक मनुष्य और स्त्री को अपने पति और पत्नी के अलावा किसी और को नहीं देखना चाहिए। दूसरी नारी और पुरुष का त्याग करें। साध्वी समिति ने सोलह सतियों में से मृगावती के जीवन चरित्र पर कहा कि धर्म पर विश्वास करते हुए अगर आगे बढ़ा जाए तो निश्चय ही सरलता तय है।
मार्गावती के अंदर धर्म के प्रति अटूट विश्वास था। वर्तमान में लोग धर्म सभा मे आते हैं कुछ समय बिताते हैं और बदलाव नहीं होता तो निराश होकर चले जाते हैं। लेकिन याद रहे जहा से मनुष्य में निराशा आती है वहीं से जीवन मे बदलाव की शुरुआत होनी शुरू होती है।
जो लोग लाख कठिनाई आने के बाद भी जीवन को संवारने वाले कार्यो को नहीं छोड़ते उनका जीवन निश्चय ही बदल जाता है। सतियों का जीवन चरित्र सुनने से नहीं बल्कि समझ कर अनुसरण करने से बदलाव होगा।
वर्तमान में लोग पैसा देख कर अपनी बेटी की शादी कर देते हंै। अगर वर्तमान में लोग पैसे की जगह परिवार के धर्म, प्रेम, तप और त्याग को देख कर शादी करें तो निश्चय ही जीवन सुखी रहेगा। उन्होंने कहा कि पैसा के पीछे जाने वाले धर्म मे आगे नहीं जा पाते हैं।
धर्म के लिए त्याग की जरूरत होती है। त्याग किये बिना जीवन नहीं बदल सकता है। जीवन मे बदलाव चाहिए तो त्याग की लिए तैयार रहना होगा। धर्मसभा में संघ अध्यक्ष आनंदमल छलाणी, लूणकरण सुराणा और गौतमचंद दुगड़ उपस्थित थे।