आज विजयनगर स्थानक भवन में विराजित साध्वीश्री प्रतिभाश्रीजी ने प्रवचनों की शृंखला में कहा कि व्यक्ति के पाँच प्रकार के शरीर ओदारिक, वैकृय, नारकीय, तेजस ओर कारमा होते हैं। इनके बारे में विस्तृत से विवेचन करते हुए बताया कि तीन योग में, वचन व काया की शुद्धि से ही शरीर मे स्थिरता आती है। मन के विचार सुंदर होंगे तो ही परिणाम भी सुन्दर होंगे। साध्वी दीक्षिताश्री जी ने भजन के माध्यम से गुरुदर्शन का महत्व बताया।
साध्वी प्रेक्षाश्रीजी ने चरित्र के बारे में आगमों का विवेचन सुनाते हुए कहा कि चरित्र व्यवहार से ही चरित्रआत्माओं का उपार्जन होता है।जो आत्माएं अनंतकाल में सिद्ध हुई है उन्होंने चरित्र से ही तीर्थंकर गौत्र का बंध किया।
आज सवाईमाधोपुर से दीक्षिताश्रीजी म सा के सांसारिक भाई भाभी योगेंद्र जी व योगिता जी आये,तथा चित्तौड़गढ़ से विरवाल संघ ने साध्वीश्री जी के प्रवचन व सेवा का लाभ लिया।संघ के।अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार कोठारी ने साल माला द्ववारा सम्मान किया।
संघ के मंत्री कन्हैया लाल सुराणा ने आगे के कार्यक्रमों की जानकारी के तहत ता 18 सीतम्बर को श्रमणसंघ के नायक ध्यानयोगी आचार्य डॉ श्री शिवमुनि जी म सा की जन्मजयंती प्रातः 6.30 से ही पाँच पाँच सामायिक द्ववारा मनाने तथा ता 25 सितंबर को तीन महान चरित्रआत्माओं की पुण्यस्मृति सामूहिक सामायिक दिवस के साथ 200 प्रश्नों की ज्ञानार्जन अंताक्षरी प्रतियोगिता की 1000 पत्रावली का विमोचन करते हुए मनायी जाएगी।जिसमे प्रथम,द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ के करीब 100 विजेताओं को रजत सिक्कों से पुरस्कृत किया जाएगा।