चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा लोभ और राग को छोड़ कर मनुष्य को अपने पाप के गड्ढे भरने चाहिए। गाड़ी नहीं होने पर लोग एक गाड़ी चाहते हंै और उसके मिल जाने पर दूसरी गाड़ी की लालच करने लगते है।
यह लोभ जब तक कम नहीं होगा तब तक पाप बढ़ता रहेगा। जितना जल्दी मनुष्य लोभ से दूर होगा उसका कल्याण हो जाएगा। साध्वी समिति ने कहा कि मनुष्य ने अब तक के जीवन में अपनी वाणी का उपयोग इधर उधर बहुत कर लिया अब इसका उपयोग तीर्थंकर की भक्ति और आराधना में लगा कर नर से नारायण बन जाना चाहिए।
परमात्मा की भक्ति से मनुष्य के पापों की निर्जरा होती है और उसका जीवन प्रकाश की ओर जाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोगों की भक्ति हवा के झोके से भी टूट जाती है। लेकिन भगवान की आराधना करते समय लाख कठिनाई आने के बाद भी मन नहीं भटकाने वालों का जीवन सफल होता है। लोगस्स के प्रति भक्ति बढ़ेगी तो पापों की निर्जरा होती जाएगी।
यह लोगस्स आगम से लिया गया है इसलिए अनादिकाल से शाश्वत है। लोगस्स की आराधना मोक्ष की पहली सीढ़ी होती है। सच्चे मन से अगर लोगस्स का पाठ किया जाय तो मनुष्य की आत्मा चिंतामणि रत्न बन जाएगी। इसके माध्यम से मनुष्य की अव्यावहारिक राशि व्यावहारिक राशि में प्रवेश करती है। लोग अपनी मानसिकता की वजह से नौकर को मालिक नहीं बनने देख सकते है।
लेकिन जिनेन्द्र परमात्मा की यह खासियत है कि वह अपने भक्त को परमात्मा बनना देखना चाहते है। अगर सच्चे मन से भक्ति की जाए तो मानव परमात्मा बन सकता है।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से घी बिना बाती नहीं जलती उसी प्रकार भक्ति से लोगस्स का उच्चारण किये बिना नर नारायण नहीं बन सकता। जीवन में एक बार सम्यक दर्शन आने पर मानव को मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। जीवन में आगे जाना है तो लोगस्स के प्रति सच्ची भक्ति रखें।