बेंगलुरु। साहस के अभाव में मनुष्य को किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती। मन की दृढ़ता और शक्ति का नाम ही साहस है। उपरोक्त बातें आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने प्रवचन के माध्यम से गुरुवार को यहां अक्कीपेट संघ में कही।
वे बोले, जीवन का आनन्द साहस के साथ काम करने में है। जो लोग फूलों की छांव तले पलकर बड़े हुए हैं तथा जिन्होंने संघर्ष और प्रतिकूल परिस्थितियाँ देखी ही नहीं हैं-वे जीवन के असली आनन्द के बारे में जान नहीं सकते।
उन्होंने कहा कि जीवन जीने के दो प्रकार हैं पहला प्रकार है कायरतापूर्ण जीवन जीने का। इस शैली में इस समाज के लोगों से और परिस्थितियों से प्रतिकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते और दुर्बलतापूर्वक परिस्थितियों के गुलाम बन जाते हैं।
जीवन जीने का दूसरा प्रकार है जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करने का और हिम्मत के साथ अपना पग आगे बढ़ाना। घर-परिवार में आए दिन नई-नई समस्याएँ पैदा होती रहती हैं। साहसी लोग इस प्रकार की छोटी-मोटी समस्याओं से घबराते नहीं है। साहस का धनी विद्यार्थी कठिन-से-कठिन परीक्षाओं से भी नहीं घबराता।
वह अपनी अथक लगन और परिश्रम से पढ़ाई में मेहनत करता है तथा परीक्षाओं में सबसे अच्छे अंक लाकर उत्तीर्ण होता है। देवेंद्रसागरजी ने कहा कि साहस रखने से जीवन की आधी समस्याएँ अपने आप ही हल हो जाती हैं, इसलिए जीवन में कितनी भी आपत्ति विपत्ति आए हमें साहस और धैर्य के साथ काम लेना चाहिए।