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मनुष्य से ज्यादा मूढ पशु नहीं है: महासती डॉ. रुचिका श्री

मनुष्य से ज्यादा मूढ पशु नहीं है: महासती डॉ. रुचिका श्री

मनुष्य से मूढ़ पशु भी नहीं- श्री श्वेतांबर स्थानकवासी बावीस संप्रदाय जैन संघ गणेश बाग जैन स्थानक में विराजित महासती डॉ.श्री रुचिका श्री ने बताया कि मनुष्य से ज्यादा मूढ पशु नहीं है। टीवी पर जो भी विज्ञापन आता है ।

मनुष्य वही खाने लग जाता है। शराब का विज्ञापन निकलता है तो मनुष्य शराब पीने लग जाता है। अंडे का विज्ञापन आता है तो अंडे खाने लग जाता है। पिज़्ज़ा बर्गर जो भी विज्ञापन आता है मनुष्य वही खाने लग जाता है परंतु पशु को आप विज्ञापन के अनुसार कुछ नहीं खिला सकते।

पशु जो खाता है वही खाता है। वह विज्ञापन के अनुसार नहीं खाता। हमें विवेक रखना चाहिए कि हमें क्यों खाना है ,कब खाना है, कब खाना है ,कैसे खाना है, कैसा खाना है और कितना खाना है। तभी हम स्वस्थ रह सकते हैं हमारे में श्रावक का स्वस्थता का गुण विद्यमान हो सकता है।

उसके पूर्वक साध्वी जिनाज्ञा श्री ने सुख विपाक सूत्र के विषय में थोड़ी जानकारी दी तथा फरमाया कि प्रभु परमात्मा फरमाते हैं एक शब्द के पीछे सारी दुनिया भ्रमित है।

चाहे इंडिया हो या ऑस्ट्रेलिया हो सही दुनिया भ्रमित है ।वह कौन सा शब्द है सुख किसको कहा जाए। वह हर व्यक्ति को लागू हो अमीर गरीब सबको लागू हो। सुख की से कहना?

तो परमात्मा ने कहा जहां स्वीकार भाव है वहां सुख है और जहां स्वीकार भाव नहीं वहां दुख है और जिसने वस्तु परिस्थिति को जान लिया वह व्यक्ति सुखी है और जिसने वस्तु परिस्थिति को नहीं जाना वह व्यक्ति दुखी हो सकता है ।

अगर उसे प्रभु परमात्मा भी मिल जाए उस व्यक्ति को सुखी नहीं कर सकते । हमें दुख आता है तब हम प्रभु को याद करते हैं। सुख में हम प्रभु को याद नहीं करते कहां गया है ।

दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोई। जो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे को होय।।
मंच का संचालन राजू सकलेचा ने किया

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