तिरुकलीकुण्ड्रम तमिलनाडु :- शांतिदूत परमपूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या श्री डाॅ. मंगलप्रज्ञाजी का मंगलवार को तिरुकलीकुण्ड्रम में भव्य प्रवेश एवं स्वागत हुआ। पक्षीतीर्थ के जैन श्रावक एवं श्राविकाओं ने बड़े उत्साह से जुलूस के रुप मे श्रद्धापूर्वक साध्वी श्री का अभिनंदन किया। जैन भवन में विराजित साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी ने जागरण का उद्घोष करते हुए फ़रमाया- श्रावकों! जागो, अज्ञान की नींद में चिरकाल से सो रहे हो उपरितन स्लीपिंग पिल के रुप में खरीदकर नींद लें रहे हो मनुष्यों! इस अनमोल मनुष्य जीवन को मुक्त करो मूर्च्छा, मोह, ममता और अज्ञान की नींद से। यही सही वक्त है।
जीवंत शैली में प्रवचन सुन श्रोतागण के मन झंकृत हो गए। तेरापंथ के सभा अध्यक्ष बाबुलालजी खाटेड ने साध्वीवृन्द का स्वागत किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में साध्वीश्री राजुलप्रभाजी ने आगमवाणी का उपदेश सुनाया। साध्वी श्री शौर्य प्रभाजी ने भक्ति रसमय गीत का मधुर संगान किया। प्रतिदिन प्रातः सायं होनेवाले प्रवचन में श्रावकगण उपस्थित रहकर यथा शक्ति लाभ ले रहे हैं।
मन के कारखाने में होता है आनंद का उत्पादन
तिरुकलीकुण्ड्रम जैन भवन में विराजित साध्वी डाॅ.मंगलप्रज्ञाजी ने अपने द्वितीय दिवस के प्रवचन में आनंद की चाबी प्रदान करते हुए कहा-अपने मन की फेक्ट्री में आनंद का उत्पादन करें, उन्माद और विषाद को नहीं। बाहरी संबोधन भीतर का आनंद उत्पन्न नहीं कर सकते। परिस्थिति से भी शक्तिशाली है मनःस्थिति। यदि मन सकारात्मक विचारों से भरा है, परिस्थितियां आनंद की उत्पादन रोक नहीं सकती। जीवन के पलों को आनंद से भरना है या विषाद से यह नितांत आपकी चाइस है।
प्रवचन में साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी के दर्शनार्थ संसारपक्षीय पारिवारिक जन ने गीतिका के माध्यम से दर्शन की खुशी व्यक्त की। श्रीमान अशोक बरडिया ने भावाभिक्ति दी। साध्वी श्री सिद्धियां जी ने आगम वाणी के माध्यम से जनता को पुरुषार्थ की प्रेरणा दी ।
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई