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मनुष्य बनों, संवेदनशील बनों – साध्वी ऋतम्भरा जी

मनुष्य बनों, संवेदनशील बनों – साध्वी ऋतम्भरा जी

चेन्नई. वेपेरी स्थित अग्रवाल विद्यालय एंड जूनियर कॉलेज में श्री अग्रवाल समाज मद्रास के तत्वाधान में आयोजित सात दिवसीय राम कथा का आयोजन किया गया है।

कथा के चौथे दिन समाज के अध्यक्ष श्री मुरारीलाल सोंथलिया जी ने दीदी माँ जी से निवेदन किया कि वे अपनी वात्सल्य वाणी से अपने श्री मुख से कथा सुनाकर सभी भक्त गणों को कृतार्थ करें। इसके उपरांत व्यास पीठ पर विराजमान मथुरा वृन्दावन धाम से पधारी आध्यात्मिक विभूति कथा व्यास वात्सल्यमूर्ति परम पूज्या दीदी मां साध्वी श्री ऋतम्भरा जी ने हनुमत स्तुति एवम् सभी इष्ट देवों को आमंत्रित कर कथा प्रारंभ किया तथा प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम जय सिया राम राम भजन गाकर पूरे सभागार को भक्ति रस से सराबोर कर दिया ।

साध्वी जी ने श्रीराम जानकी विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि भक्ति हृदय से होती है बुद्धि से नहीं उन्होंने कहा कि सूर्य तो अपनी रोशनी सभी पर समान रुप से बिखेरता है लेकिन प्रकाश उन्हींं को प्राप्त होता है जो खिड़की और दरवाज़े खोलकर रखता है अर्थात ईश्वर का ज्ञान रूपी प्रकाश उन्ही को प्राप्त होता हैं जो हृदय रूपी खिड़की और दरवाज़े खोलकर रखता है।

दीदी माँ ने कहा कि मन मे ईश्वर मिलन की लालसा होनी चाहिए न कि सुख सुविधाओं मे लिप्त होना चाहिए और ईश्वर से मिलन तभी होगा जब दंभ रूपी द्वार बंद कर हृदय रूपी चक्षुओं को खोलेगें ।

उन्होंने कहा कि हमें संवेदनशील और विनम्र बनना चाहिए फिर चाहे वो मनुष्यों के प्रति हो या फिर विषैले जंतुओं के प्रति क्योकि एक संवेदन शील, विनम्र मनुष्य कभी भी दूसरों के रास्ते के कांटे बीनता है वो कभी भी दूसरों के रास्ते में कांटे नही बिखेरता है।

साध्वी जी ने सीता स्वयंवर मे उपस्थित शिव धनुष का वर्णन करते हुए कहा कि ये जो मोह का पिनाक हैं ये मन मुखियों से नहीं टूटता लेकिन जब गुरु मुखी खडा हो जाता है तो यह पिनाक टूट जाता है अर्थात सबसे बडा वजन अहंकार , अभिमान का होता हैं और अहंकार को तो एक दिन टूटना ही पड़ता है क्योकि जब अहंकार टूटेगा तभी तो ईश्वर के साथ मिलन होता हैं लेकिन अहंकार मनमुखियों का नही टूटता है , अहंकार तो गुरू मुखियों का टूटता है।

 समाज के उपाध्य्क्ष श्री नरेंद्र कुमार सिंगला जी ने बताया कि इस राम कथा में सिर्फ अग्रवाल समाज ही नहीं अपितु अन्य समाज के लोगों जैसे माहेश्वरी समाज , दहिमा समाज , राजपूत समाज , चौधरी समाज , ब्राह्मण समाज इत्यादि से भी लोगों ने पधारकर इस कथा का रसपान कर रहे हैं।

     समाज द्वारा वर्ष के अंत में आयोजित होने वाले इस आध्यात्मिक कार्यक्रम को भव्य एवं सफल बनाने के लिए समाज अध्यक्ष श्री मुरारीलाल सोंथालिया , उपाध्यक्ष नरेंद्र कुमार सिंगला महासचिव श्री हरीश कुमार लोहिया ,संयोजक – श्री सज्जनकुमार रूंगटा , सह संयोजक श्री एस. के. तोदी , सचिव श्री सावरमल खेमका , कोषाध्यक्ष श्री विवेक अग्रवाल जी , सदस्या श्रीमती शालिनी अग्रवाल , उर्मिला सर्राफ एवं समस्त अग्रवाल समाज के गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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