चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित साध्वीवृंद कंचनकंवर व डॉ.सुप्रभा के सानिध्य में साध्वी डॉ. इमितप्रभा ने कहा कि वीर प्रभु ने आत्मसाधना से भवि जीवों को मानव जीवन की दुर्लभता का संदेश दिया है। जन्म-जन्मांतर में भटकते-भटकते यह मनुष्य जीवन और पांच इन्द्रियों का योग मिला है इसका सदुपयोग करें, दुरुपयोग नहीं।
जिस प्रकार दरवाजे से चोर भी आता है, साहुकार भी उसी प्रकार हम सभी पंचेन्द्रियों से अच्छे या बुरे विषयों को ग्रहण कर रहे हैं। आत्मा इन्द्रियां और मन का योग मिला है। इन्द्रियां जड़ हैं पर उन्हें चलाती आत्मा है।
नाशवान शरीर के कर्मों का कर्ता और भोक्ता जीव है। इन्द्रियां अशुभ कर्म करे तो आत्मा भोगती है, कर्म सदा साथ लगे रहते हैं। मनरूपी मदारी चंचल इंद्रियों को बंदर की तरह नचाता है। मन पर विजय से इंद्रियां भी संयमित हो जाएगी। अच्छा-बुरा व्यक्ति के विवेक पर निर्भर करता है। जो एक की नजर में अच्छा है वही दूसरे की नजर में बुरा हो सकता है।
२ अक्टूबर का दिन दो महापुरुषों महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती है। महात्मा गांधी ने गृहस्थ में रहकर भी महात्मा जैसा जीवन जीया। उनके रोम-रोम में करुणा, अनुकंपा, दया और मैत्री के भाव थे।
जैन दर्शन में सीधा कहें तो वे एक श्रावक थे, उनका आचरण और जीवन जीने का तरीका ही उनका प्रवचन था। साध्वी नीलेशप्रभा ने कहा कि प्रभु ने संसार में प्रत्येक व्यक्ति को प्राप्त चार दुर्लभ अंग बताए हैं। मनुष्य जन्म मिलना परम सौभाग्य है। दुर्लभ मनुष्य गति महान है जिसे पाने के लिए देव भी प्रार्थना करते हैं।
हमें तो सहज ही आर्यक्षेत्र, उत्तम कुल और मनुष्यगति मिली है। पशु गति के भोगों के लिए मनुष्यजन्म व्यर्थ न करें। यहां से नजदीक मुक्ति का किनारा है। प्राणी लोभ, अज्ञान के वशीभूत होकर इसे खो देता है। साध्वी डॉ.हेमप्रभा ‘हिमांशुÓ ने प्रात: पुच्छीशुणं सम्पुट साधना सामूहिक रूप से करवाई। बुधवार को ध्यान दिवस के उपलक्ष में उपस्थित सभी ने ध्यान साधना का अभ्यास किया। ५ अक्टूबर को नवपद ओली आराधना, श्रीपाल चारित्र, नवकार महामंत्र का सजोड़े जाप तथा पुच्छिशुणं प्रतियोगिता होगी।