त्यागी आत्माएं त्याग से और धर्म की आत्माएं धर्म को देखकर प्रसन्न होती है।
जैसा घर का संस्कार होता है वैसा ही उनके अनुजों को संस्कार मिलते हैं। उचित लालन-पालन करने के बाद ही श्रवण कुमार ने भी अपने माता पिता की समर्पित भाव से सेवा की।
जिनके बच्चे धार्मिक और नैतिक संस्कारों को अपनाते हैं वही व्यक्ति आगे चलकर श्रवण कुमार जैसे बनते हैं।
उन्होंने कहा पर्यूषण पर्व के इस दिवस पर हमें आत्मा की निर्जरा करनी चाहिए। सागरमुनि ने कहा कि व्यक्ति अपने अच्छे आचरण से ही मंजिल को तय करता है।
ऐसा प्रसंग आने पर मनुष्य को सोने के बजाय उठकर दौड़ लगानी चाहिए। क्योंकि यह प्रसंग मनुष्य को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए आता है। पर्यूषण का मतलब होता है कि पूरी तरह से आत्मा के करीब जाना। जो आत्मा के करीब जाते है वे हमेशा आगे निकलते हैं।
इससे पहले उपप्रवर्तक विनयमुनि ने अंतगढ़ सूत्र पढ़ा और शास्त्र वाचन किया। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष आंनदमल छल्लाणी सहित अन्य लोग उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया