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मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है तो वह भाषा: प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज 

मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है तो वह भाषा: प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज 

8 अगस्त खवासपुरा मनुष्य की भाषा ही उसकी सबसे बड़ी पूंजी है ! प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज ने सोमवार को मरूधर केसरी श्री मिश्रीमल जी महाराज और लोकमान्य संत रूपचन्द जी महाराज के सप्त दिवसीय जन्मोत्सव समारोहों के अंर्तगत श्री मरूधर केसरी रूप सुकन दरबार मे चतुर्थ दिवस सम्पूर्ण देश व खवासपुरा मे तेला तप की तपस्या करने वाले हजारों भाई बहनों और श्रध्दांलूओ से कार्यक्रम मे कहांकि मनुष्य अंहकार और स्वार्थ के चलते अपनी भाषा का ज्ञान खोकर अविवेक से मुंह से जहर उगलने लग जाता है जबतक वाणी मे मिठास और मधुरता नही आयेगी तो वह अपना ही अहित कर सकता है ! मुख से निकले शब्द जीवन को बना भी सकते है और बिगाड़ भी सकतें है! मानव के जीवन मे वाणी का बहुत बड़ा महत्व है धर्म के मार्ग पे चलने वाला ही वाणी मे मिठास लाकर जीवन मे परिर्वतन कर पायेगा !

महेशमुनि मुकेश मुनि,हरीश मुनि, सचिन मुनि आदि सभी संत महात्माओं ने कहांकि मानव के जीवन का प्रमुख अंग है तो वह वाणी द्रोपती ने जिस तरह महाभारत में दुर्योधन से कहा कि अंधे की औलाद अंधे ही होतें है ऐसे वाक्य मुंह से बोलकर भाई भाई मे द्वेष उत्पन्न करवा के अपना ही अहित करवा लिया शब्दों मे संयम होगा तभी जीवन निखर पायेगा ! श्री संघ के मंत्री एम अशोक कोठारी ने बताया की धर्मभा पधारें अतिर्थियो का बी पदमचन्द कोठारी,ए सुनिल कोठारी ने स्वागत किया ! साथ ही गायों को लंपी स्किन रोग बिमारी से मुक्त बन जाये उसके लिये प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज ने शांतिनाथ भगवान का कार्यक्रम में सामूहिक जाप करवाया गया!

मीडिया प्रवक्ता सुनिल चपलोत

श्रीवर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ खवासपुरा

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