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मनुष्य का जीवन मिलना बहुत मुश्किल है: तप चक्रेश्वरी अरुणाप्रभाजी जी

मनुष्य का जीवन मिलना बहुत मुश्किल है: तप चक्रेश्वरी अरुणाप्रभाजी जी

उत्तराध्ययन सूत्र के 10वें अध्याय में बताया है की यह मनुष्य का जीवन मिलना बहुत मुश्किल है। आप भाग्यशाली है जो सामायिक की साधना कर रहे हो, जिनवाणी सुन रहे हो । नही तो बहुत लोग कहते है खाओ पियो और ऐश करो व्यापार गल्लों का, सामायिक साधना यह कार्य है गुरु भगवन्तों का। एक छोटी सी घाटी चढ़ने पर हमारी साँस फूल जाती है, गर्मी में पसीना आ जाता है, पैर दुखने लगते है, घबराहट होती है। हमारी आत्मा को दुष्कर 9 घाटी को पार करने के बाद यह मानव भव मिला है। ये 9 घाटी है एकेन्द्रिय पृथ्वीकाय, वनस्पतिकाय, वायुकाय, अपकाय, तेउकाय, बेन्द्रीय, तेन्द्रीय, चोन्द्रीय पंचेन्द्रिय । पाँच इंद्रिया मिली लेकिन तिर्यंच का भव मिल गया, अज्ञानमय दशा मिली । एक गन्ना मनुष्य को दिया जाए तो मनुष्य उसे साफ करेगा, टुकड़े करेगा उसका रस ग्रहण करता है, वही गन्ना तिर्यंच को दे दो तो वह पूरा खा लेगी, क्योंकि उसमें सोचने समझने की शक्ति नही है । मानव भव पाकर हमारी आत्मा नर से नारायण बन सकती है, सिद्ध अवस्था को प्राप्त कर सकती है । जानवर शक्तिशाली होता है मानव बुद्धिशाली होता है । बुद्धि के बल से मानव शेर को भी वश में कर लेता है, अपनी साधना से देवताओं को वश में कर लेता है।

मानव भव काली मिट्टी के उपजाऊ खेत के समान है, मानव भव में जो भी कर्म निर्जरा करता है वो भव पारसमणि रत्न एंव कोहिनूर हीरे के समान है। लाख की हंडी में 5 रत्न जड़े हुए है और चूल्हे में चंदन की लकड़ी जलाकर उस लाख की हांडी को चूल्हे पर रखने वाले व्यक्ति को आप महामूर्ख कहोगे क्योंकि इससे लाख की हांडी पिघल जाएगी, और रत्न नष्ट हो जाएंगे। हमारी अनन्त अनन्त भव की पुण्यवानी से हमें मानव तन रूपी लाख की हांडी मिली है और 5 इंद्रियों के रूप में 5 रत्न मिले है, बावन्या चन्दन जैसा यौवन समय रूपी भट्टी में जल रहा है, साधु संतों के रूप में जौहरी आपको 4 महीने के लिए मिले है जो आपको इस मानव भव में मिले तन और इंद्रियों की कीमत समझा रहे है, इस भव को व्यर्थ मत गंवाओं।

बाल साध्वी पूज्याश्री गुरु निधि ने फरमाया की जीवन में हमेशा जोखिम रहता है और जोखिम में जीने का मजा है। जिंदगी के चार दिन है दो दिन आरजू के और दो दिन इंतजार के है। जिंदगी के दो दिन है एक दिन मौत का एक दिन जिंदगी का, जिंदगी की हैसियत एक मुट्ठी राख से ज्यादा नही है। खुशियों का गुणा करने से दुख घट जाएगा, दुःखों का भाग देने से खुशियां चार गुना हो जाएगी। हजारों यस्टरडे गुजर गए हजाओ टुमारो आएंगे, लेकिन ये जो टुडे है वो फिर कभी लौट के नही आएगा, इसलिये समय की कीमत को जानो, क्षणभर का भी प्रमाद मत करो, समय व्यर्थ मत गवाओ ।

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