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मजबूत धागें से पिरोया सास – बहू का रिश्ता : साध्वी अणिमाश्रीजी

तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा सास – बहू कार्यशाला का हुआ आयोजन
 
  अभातेमम उपाध्यक्षा श्रीमती नीलम सेठिया ने दिये ब्यूटीफुल रिलेशनशिप के टिप्स

  अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार एवं आचार्य महाश्रमणजी की प्रबृद्ध शिष्या साध्वी श्री अणिमाश्रीजी की पावन प्रेरणा से तेरापंथ महिला मंडल चेन्नई द्वारा मिल – दिल साथ हैं तो क्या बात है (सास बहू) कार्यशाला का वर्चुअल जूम ऐप और फेसबुक पेज पर लाइव आयोजन किया गया।
   कार्यशाला का शुभारम्भ उपाध्यक्षा श्रीमती पुष्पा हिरण के नमस्कार महामंत्र के मंगल स्मरण के साथ हुआ। मंगलाचरण प्रेरणा गीत आओ बहनों, जागों बहनों, .. युग धारा में प्राण भरें का संगान सहमंत्री श्रीमती कंचन भण्डारी एवं श्रीमती रीमा सिंघवी ने किया। महिला मण्डल अध्यक्षा श्रीमती शान्ति दुधोड़िया ने कार्यशाला के सम्भागीयों का स्वागत करते हुए कहा कि महिला मण्डल केन्द्र द्वारा निर्देशित हर कार्य को करने की कोशिश करती हैं। श्रीमती दुधोड़िया ने कहा कि उन्हें उनके हर कार्यों में जहां महिला मण्डल की बहनों का सहयोग तो मिलता ही है, वहीं स्थानीय तेरापंथ सभा, तेयुप, अभातेयुप जेटीएन का भी समय समय पर सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहता हैं। आपने आज के मुख्य व्यक्ता श्रीमती नीलम जी सेठिया, सेलम का विशेष रूप से साधुवाद सम्प्रेषित किया। कार्यक्रम की संयोजिका कोषाध्यक्षा श्रीमती हेमलता नाहर, प्रचार – प्रसार मंत्री श्रीमती लता पारख ने विडिओ क्लिप के माध्यम से मुख्य व्यक्ता का परिचय प्रस्तुत किया। विडियो बनाने में दक्षा पारख का विशेष सहयोग रहा।

मजबूत धागें से पिरोया सास – बहू का रिश्ता : साध्वी अणिमाश्रीजी

  इस अवसर पर मादावरम्, चेन्नई में प्रवासित साध्वी अणिमाश्रीजी के प्राप्त वीडियो संदेश में कहा कि सास और बहू का रिश्ता एक मजबूत धागें से पिरोया गया हैं। वर्तमान में कन्याएं कॉलेज पढ़कर बहू बन जाती है। अतः उस समय सास का कर्तव्य है कि वे सहनशीलता के साथ बहू को अपने घर के संस्कारों को सिखाएं और बहू का दायित्व है कि वह भी समर्पण के साथ कार्यों को सीखें। आपने घड़े का उदाहरण देते हुए कहा कि परिवार के रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए सास और बहू दोनों का दायित्व है कि वे घड़े की तरह स्वयं ठंडे रहकर सबको ठंडा पानी देते रहना चाहिए। साध्वीश्री जी ने तेरापंथ महिला मंडल के कार्यो की सराहना करते हुए कहा बहनें जागरूकता के साथ हर कार्य को संपादित करती हैं। साध्वीश्री के मंगल उद्धबोधन का विडियों उपलब्ध कराने में तेयुप मंत्री श्री विशाल सुराणा का सहयोग रहा।

 सुखी परिवार का आधार है – मधुर रिश्ते : श्रीमती नीलम सेठिया

   अभातेमम राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्षा श्रीमती नीलम सेठिया ने दिल मिल साथ हैं तो क्या बात है .. विषय पर मुख्य सम्बोधन देते हुए कहा सुखी परिवार का आधार है – मधुर रिश्ते जैसे बीज को वटवृक्ष बनने के लिए खाद, पानी, रोशनी, अनुकूल समय आदि की आवश्यकता होती हैं, उसी तरह सास – बहू के मधुर, मिठासमय रिश्तों के लिए लव, केयर, टाइम, अंडरस्टैंडिंग, एडजेस्टमेंट की आवश्यकता होती हैं। इन पाँचों चीजों का पोषण मिले तो यह रिश्ता भी वटवृक्ष बन जाता हैं।
 

श्रीमती सेठिया ने आगे कहा कि सास, बहू, मां, बेटी सब रिश्ते अपनी-अपनी जगह है और सबका अलग-अलग महत्व है, मर्यादाएं है। जब सास – सास रहकर बहू को बहू मानकर और बहू अपने आप को बहू मानकर सास को सम्मान देती हैं तो रिश्तो को सकारात्मकता मिल जाती हैं, अपनत्व का भाव मजबूत बन जाता हैं। रिश्तों में पेन, टकराव, बिखराव आने से पहले ही संभाल ले तो कभी भी खटास नहीं आती।

लेस एक्सपेक्टेशन रखें

  श्रीमती सेठिया ने सास बहू के रिश्तों में सामजस्य बैठाने के लिए चार दरवाजों का उल्लेख करते हुए प्रथम दरवाजास्वीकार करना के बारे में बताया कि ये दरवाजे सास और बहू दोनों को साथ में मिलकर खोलना चाहिए। सास को यह स्वीकार करना चाहिए कि अब अपने बेटे के प्यार, समय पर बहू का भी अधिकार है। नई-नई बहू आई है तो उसे अपेक्षित समय देना चाहिए, ताकि वह अपने आप को परिवार के साथ जोड़ सके। सास कभी भी बहू को अपने सामान नहीं मानकर अपना नया वर्जन समझे। बहू से Less Expectation लेस एक्सपेक्टेशन, कम उम्मीदे रखें। उसी तरह बहू को भी स्वीकार करना चाहिए कि उसे नये सदस्यों के साथ एडजेस्ट करने में टाइम लगेगा। ससुराल को अपना घर माने, पिहर और ससुराल की जीवनशैली को अलग-अलग स्वीकार कर हैपी रह सकती हैं।

 कार्यों में परिवार का हो इंवॉल्वमेंट

 दूसरा दरवाजा अधिकार के बारे में श्रीमती नीलम सेठिया ने बताया कि सास अपनी बहू को दैनिक दिनचर्या बनाने, शोपिंग करने इत्यादि में अधिकार दे। पूरी फैमिली में सभी मिल बैठकर कोई चिंतन करें तो बहू को भी राय देने का अधिकार दें। विशेष अवसरों पर सास द्वारा अपनी ननंद, भुआ या अन्य किसी को कोई लिफाफा या अन्य उपहार दिया जाए तो उसमें बहू को भी इंवॉल्वमेंट (शामिल) किया जाए। आवश्यक जरूरतों के लिए उन्हें पैसे भी देने चाहिए।

उसी तरह बहू को भी सास को यह अधिकार देना चाहिए कि मैं कैसे अच्छी गृहिणी बन सकू, उसकी पूरी ट्रेनिंग देने का। बहू को अपनी चीजों को अपनी नंदन, सास के साथ शेयरिंग करना चाहिए। अपनी कोई भी समस्या हो तो अपनी सास के साथ राय लेनी चाहिए। अपने पति के साथ साथ अपने परिवार को भी इंवॉल्वमेंट करना चाहिए।

मन की शांति के लिए जरूरी अपनी आदतों का करें परिष्कार

 ब्यूटीफुल रिलेशनशिप के लिए तीसरे दरवाजे परिष्कार के बारे में बताते हुए कहा कि सास को अपने नेचर में परिवर्तन करना चाहिए। बहू के गलत कार्यों की चुगली बाहर वालों या अपने पति, बेटे के सामने नहीं करनी चाहिए। अपने बेटे के कार्यों में बहू को भी साथ में जोड़ें और उसके कार्यों में दखल अंदाजी करना कम करें। अपने लिविंग सिस्टम, जीवन शैली में परिवर्तन करें। ज्यादा एक्सपेक्टेशन की अपेक्षा दिल में शांति के लिए अपनी आदतों में परिष्कार करना चाहिए।
 

उसी तरह बहू को भी अपनी बेसिक हैबिट, अस्त-व्यस्त आदतों का परिष्कार करना चाहिए। ससुराल के अनुरूप अपना डेवलपमेंट करना चाहिए। अपने ससुराल की Gossiping, गपशप नहीं करनी चाहिए। कभी भी यह स्वार्थ अपने ऊपर हावी नहीं होने दे कि मेरा क्या जाता है।

छिपे हुए गुणों का करें आविष्कार, स्वीकार
 
  रिश्तो की मिठास के चोथे दरवाजे अविष्कार
 के बारे में बताते हुए श्रीमती नीलम सेठिया ने कहा कि सास को बहू में छिपे हुए गुणों का आविष्कार करना चाहिए। उसकी पसंद नापसंद को जानना चाहिए। बहू बेटे की खुशी का आविष्कार करना चाहिए। उसी तरह बहू को भी सास के भीतर अनुभव के खजानो का आविष्कार करना चाहिए। ससुराल में रचने-बसने के लिए जरूरी है, सास के छिपे हुए अनुभव के खजाना को अपनाना। सास का अच्छे दोस्त के रूप में आविष्कार करना चाहिए, जिससे वह अपने मन की सुख-दुःख की बातों का आदान-प्रदान कर सके। सास को साधुवाद देना चाहिए कि मुझे अच्छा, समझदार जीवन साथी दिया।

 शेयरिंग, केयरिंग से रिश्ते बनते मजबूत

  श्रीमती सेठिया ने सुन्दरसी बगीया बनाने के लिये कहा कि सास बहू को CLAP करना चाहिए। दोनों को बेहतर रिलेशनशिप बनाने के लिए आपस में अच्छा Communicate, Love, Adjustment और Positivity रहनी चाहिए।
 

अन्य तरीकों के बारे में बताती हुई श्रीमती सेठिया ने कहा कि बहू या सास के जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ या अन्य विशेष दिवसों को यादगार बनाने के लिए छोटी-छोटी खुशियाँ बांटनी चाहिए। सास या बहू जिन-जिन चीजों में ज्यादा जानती है, उन्हें एक दूसरे को सीखना-सिखाना चाहिए। सास एवं बहू दोनों के रिश्तेदारों को समान सम्मान दें। अपने माता-पिता और सास-ससुर में अच्छी दोस्ती, सुपर बॉन्डिंग रहने से कभी भी नेगेटिवीटी सुनने को नहीं मिलती। आपस में शेयरिंग और केयरिंग पुर्वक रहने से रिश्ते मजबूत बनते हैं।

माता-पिता, सास-ससुर घर में छत के समान

  श्रीमती सेठिया ने कहा माता-पिता, सास-ससुर घर में एक छत के समान हैं। उनका आशीर्वाद हमारे जीवन विकास में सहयोगी बनता है। अतः हमें उनका सम्मान करना चाहिए, उनके साथ प्रेम पूर्वक से रहना चाहिए, उनकी जरूरतों को पूरा करना चाहिए। अतिआवश्यक बात बताते हुए कहा कि अब तक जो हुआ उसे भूल जाना चाहिए। आगे हम कैसे प्यार और प्रेमपूर्वक रह सके, उसके लिए जीवन में यू टर्न लेना चाहिए।
 सास बहू को अपने समान समझने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, खुद के साथ कम्पेयर नहीं करना चाहिए। मदर इन लॉ की जगह मदर इन लव और daughter-in-law की जगह डॉटर इन लव शब्द को अपनाया जाए तो रिलेशनशिप ब्यूटीफुल बन जाती है। मिल कर जब दिल मिल जायेंगे तो रिश्ते मधुर बन जायेंगे।

  कार्यशाला में अभातेमम राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्या श्रीमती माला कातरेला, श्रीमती अनीता चौपड़ा, स्थानीय महिला मंडल के साथ तेरापंथ सभा निवर्तमान अध्यक्ष श्री धरमचन्द लुंकड, तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़, संगठन मंत्री श्री रमेश खटेड, तेरापंथ युवक परिषद् अध्यक्ष श्री रमेश डागा, अभातेयुप जेटीएन प्रतिनिधि श्री स्वरूप चन्द दाँती एंव अनेक गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का जूम ऐप के साथ महिला मंडल के फेसबुक पेज पर भी लाइव प्रसारण किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन अध्यक्षा शांति दुधोडिया ने और धन्यवाद ज्ञापन मंत्री श्रीमती गुणवंती खाटेंड ने किया।

   # स्वरूप चन्द दाँती
   – : प्रचार प्रसार प्रभारी :-

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