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मंत्र साधना में आस्था और विश्वास जरूरी : मुनि सुधाकरकुमारजी

मंत्र साधना में आस्था और विश्वास जरूरी : मुनि सुधाकरकुमारजी

मंगलकारी पंच ऋषि जप का हुआ भव्य अनुष्ठान

केन्द्रीय मंत्री और पुर्व मुख्य न्यायाधीश रहे उपस्थित

 हजारों की संख्या में सहभागी बने साधक

माधावरम्, चेन्नई; श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट की आयोजना में आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकरकुमारजी के सान्निध्य में आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन विद्यालय के प्रांगण में पंच ऋषि जप महाअनुष्ठान का आयोजन हुआ। इस अवसर पर श्री मुनिश्वरनाथजी भण्डारी पी एम एल ए के चेयरमैन एवं केन्द्रीय मंत्री एल मुरुगन विशेष रुप से उपस्थित रहे। हजारों की संख्या में साधक सहभागी बने।

मुनि श्री सुधाकरकुमारजी ने कहा कि जप आस्था, श्रद्धा, विश्वास के साथ करना चाहिए। आपने पंच ऋषि की साधना एवं चतुर्थ आचार्य श्री जीतमलजी के जीवन के साथ जुड़ी घटनाओं का उल्लेख किया। विघ्न हरण, भिक्षु म्हारे प्रगटिया, मुणीद मौरा ढ़ाल के रचना की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि हम किसी भी देव को माने या न माने, लेकिन उनकी आसातना नहीं करनी चाहिए। आपने कहा कि पंच ऋषि का जप कभी भी, कही भी, किसी भी परिस्थिति में किया जा सकता है।

श्रद्धा के साथ जप साधना से तकदीर की तस्वीर बदली जा सकती है

 मुनिश्री ने विशेष रूप से, स्वयं की साधना के आधार पर कहा कि जैन धर्म के अनेकों ऐसे मंत्र है, जिनकी दृढ़ इच्छा, निर्विकल्प श्रद्धा, अटूट विश्वास के साथ आराधना की जाये तो तकदीर की तस्वीर बदली जा सकती है। आध्यात्मिक उन्नति की ओर आरोहण हो सकता है। पारिवारिक, सामाजिक, ग्रह दोष इत्यादि अनेकों समस्याओं का समाधान हो सकता है। आपने विधिपूर्वक पंचऋषि जप का अनुष्ठान करवाया। लगभग 1.30 घण्टा चले इस अनुष्ठान में सभी साधकों ने तन्मयता से सहभागी बने और जप किया।

 जैन धर्म है वैज्ञानिक धर्म : भण्डारी

 मुख्य अतिथि पी एम एल ए के चेयरमैन, मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुनिश्वरनाथजी भण्डारी ने कहा कि वर्तमान की तनावग्रस्त जीवन शैली में धर्म ही एक सहारा है। जैन धर्म जीने का तरीका है। यह वैज्ञानिक धर्म हैं। जीवन को सरल और अच्छा बनाने का रास्ता है। आपने जैन धर्म में रात्रि भोजन निषेध, पानी के संयम इत्यादि का वैज्ञानिक, सामाजिक आधार बताते हुए कहा कि, सुना जा रहा है अगर तीसरा विश्व युद्ध होगा तो पानी के कारण ही, अतः जैन धर्म के सिद्धांतों को अपनाले, तो उस विषम परिस्थिति से भी पार पाया जा सकता है। आपने मुनि श्री की कृपा और चेन्नई समाज के अपनत्व को देखते हुए, चेन्नई को अपना ही परिवार बताया।

 

  एल मुरुगन ने आचार्य महाश्रमणजी के दर्शन की जताई इच्छा

 मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री एन मुरुगन ने कहा कि मुनि श्री का आभामण्डल इतना आकर्षित है कि मुझे यहां आकर सुखद अनुभूति होती है। आपने व्यवस्थित जप अनुष्ठान की सराहना की और स्वयं भी उसमें सहभागी बने। जप अनुष्ठान सम्पन्न होने के बाद आपने मुनि श्री से काफी समय समसामायिक विषयों पर परिचर्चा की और आचार्य श्री महाश्रमणजी के दर्शन की इच्छा जताई।

 मुनि श्री नरेशकुमार ने प्रभु पार्श्व देव चरणों में गीतिका का संगान किया। प्रबंध न्यासी घीसूलाल बोहरा ने अपने व्यक्तव्य में गुरुदेव एवं मुनिप्रवर के प्रति कृतज्ञता के साथ खमतखामणा किया। पुरे चातुर्मास काल में मिले कार्यकर्ताओं, दानदाताओं, श्रावक समाज के प्रति साधुवाद ज्ञापन किया।

ट्रस्ट बोर्ड द्वारा अतिथियों, दानदाताओं, मीडिया के लिए स्वरूप चन्द दाँती का, जप अनुष्ठान में गीत गाने वाले राकेश माण्डोत का सम्मान किया गया। ज्ञानचन्द आंचलिया ने विचार व्यक्त किये। माधावरम् बहनों ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। नवमनोनीत टीपीएफ टीम ने शपथ ग्रहण ली। जप अनुष्ठान संयोजक सुरेश रांका ने स्वागत स्वर एवं प्रवीण सुराणा ने सम्मान समारोह का संचालन करते हुए आभार ज्ञापन दिया। अनुष्ठान कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रेक्षिता संकलेचा ने किया।

 समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती

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