मादावरम्, चेन्नई 28.07.2022 ; जय समवसरण, जैन तेरापंथ नगर, मादावरम्, चेन्नई में आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकरजी का चातुर्मास प्रवर्धमान है। नियमित आध्यात्मिक गतिविधियों से श्रद्धालुजन आप्लावित हो रहे है। धर्म गंगा में डुबकी लगा रहे है। आज गुरु पुष्यनक्षत्र, स्वार्थ सिद्धि योग के अवसर पर आयोजित पैंसठिया छंद अनुष्ठान पर मानों साधकों का रैला सा लग गया। समय से भी पुर्व पुरा जय समवसरण भर चुका था। समवसरण के दोनों ओर जैन तेरापंथ नगर के पार्किंग पेलेस में भी सैकड़ों साधक-साधिकाएँ बैठ कर अनुष्ठान में सहभागी बने।
अनुष्ठान करवाते हुए मुनि श्री सुधाकरजी ने कहा कि पैंसठिया छंद में चौबीसों तीर्थंकरों की स्तुति है। तीर्थंकर प्रभु की आराधना स्तुति करने से हमारे कर्मों की निर्जरा होती है। हमारे जीवन में सुख, समृद्धि, यश व कीर्ति की प्राप्ति होती है। छंद के इतिहास के बारे में बताते हुए मुनि श्री ने कहा कि धर्म पर आये संकट, विपदाएं के निवारण और धर्म की अक्षुण्णता को कायम रखने के लिए हमारे पुर्वाचार्य आचार्य धर्मसिंह द्वारा सैकड़ों वर्ष पूर्व पैंसठिया छंद की रचना की। मुनि श्री ने लगभग उपस्थित 1300 अनुष्ठान साधकों को विशेष प्रेरणा देते हुए कहा कि पूर्ण आत्मविश्वास के साथ किया गया जप मनुष्य को लक्ष्य तक पंहुचा देता है। अपेक्षा है मंत्रों की साधना निरन्तर चलती रहे। आधि-व्याधि, कष्ट निवारण, रोग निवारण व भौतिक-आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति के लिए श्रद्धालुजन पैंसठिया छंद की एकाग्रता पूर्वक तथा विधि पूर्वक जाप करें तो अवश्य फलदायी होता हैं। मंत्र साधना का प्रयोग ऊर्जा प्रदायक और विघ्न विनायक होता है।
मुनि श्री नरेशकुमारजी ने नमस्कार महामंत्र स्तुति की। संयोजिक श्रीमती रेखा मरलेचा ने मंगलाचरण किया। माधावरम् ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी घीसूलालजी बोहरा ने स्वागत और डी भरतजी मरलेचा ने कुशल संचालन करते हुए आभार व्यक्त किया। सामायिक मण्डल एवं जेटीएन की बहनों ने जप के साथ बीच-बीच में पैंसठिया छंद का लय बद्ध समुच्चारण किया। श्रीमती कुसुम खिवसरा ने 18 की एवं श्रीमती सुमनबाई धारीवाल ने 17 की तपस्या का मुनिश्री से प्रत्याख्यान किया। आज अनेकों साधकों ने भी अनुष्ठान के निमित्त उपवास, एकासन, आयम्बिल आदि तप किया।
स्वरुप चन्द दाँती
मीडिया प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ ट्रस्ट, माधावरम्
सहमंत्री
अणुव्रत समिति, चेन्नई