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मंत्र साधना आत्मशुद्धि का महत्वपूर्ण आलम्बन – साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा

मंत्र साधना आत्मशुद्धि का महत्वपूर्ण आलम्बन – साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा
सोमवती अमावस्या पर मंत्र प्रयोग एवं विशद विवेचन
 
मंत्र साधना आत्मशुद्धि का महत्वपूर्ण आलम्बन – साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा
  पल्लावरम्, चेन्नई 30.05.2022  ; “मंत्रों का चमत्कार” विषय पर पल्लावरम तेरापंथ भवन में प्रवचन करते हुए साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा ने कहा सभी धर्मों में मंत्रों का महत्वपूर्ण स्थान है। जैन परंपरा को सार्वकालिक और सार्वजनिक प्रार्थना का उत्सव है- नमस्कार महामंत्र। गंगा का उत्सव गंगोत्री है। वैसे ही महामंत्र नमस्कार एक विशिष्ट विघ्नविनाशक साधना है। इस महामंत्र की मंदाकिनी में स्नान करने वाला व्यक्ति अव्यक्त आनंद की अनुभूति करता है, समस्याओं का समाधान पाता है। जैन परंपरानुसार मंत्र साधना आत्मशोधन और कर्म निर्जरा के लिए होती है। जीवन में विघ्न बाधाओं से प्रताड़ित व्यक्ति के लिए मंत्र सशक्त आलंबन है। नव ग्रहों को संतुलित करने के लिए और ग्रहों से उत्पन्न कठिनाइयों के निवारण के लिए बीज मंत्रों के साथ परमेष्ठी मंत्रों की निष्ठा पूर्वक, विधि पूर्वक आराधना की जाती है। नमस्कार महामंत्र की विशेषता है कि उसका आदि अक्षर और अंतिम अक्षर ‘ण’ संयुक्त है। इस महामृत्युंजय मंत्र की 1. जल्प- यानी शाब्दिक उच्चारण 2. संजल्प-यानी मानसिक उच्चारण और 3. विमर्श यानी ज्ञानात्मक आराधना की जाती है, जिसकी निष्पत्ति फलदाई होती है। संकल्प शक्ति, इच्छा शक्ति और मानसिक शक्ति संवर्धन के लिए मंत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
साध्वीश्री ने आगे कहा कि तेरापंथ संघ को श्रीमद् जयाचार्य जैसे मंत्र विद् आचार्य मिले। आचार्य महाप्रज्ञ के चरणों में रहकर मंत्र साधना करने का मुझे परम सौभाग्य मिला। जप साधना के साथ, तप आराधना से मंत्र अधिक शक्तिशाली बन जाता है। ऊर्जा के विकिरणों से ऐसा सुरक्षा कवच बनता है, जो बाधाओं को निकट नहीं आने देता। ऐसा कोई अक्षर नहीं होता जो मंत्र विहीन हो, जरूरत होती है मंत्रज्ञाता व्यक्ति की, जो अक्षरों का सही संयोजन कर सके। मंत्रों की शक्ति से वास्तुदोष को भी दूर किया जा सकता है। मंत्र साधना का उद्देश्य पवित्रता और आत्म शुद्धि है। इससे अनेक भौतिक समस्याओं का समाधान भी संभव है।
साध्वी श्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को मंच प्रयोग मंत्र प्रयोग करवाएं। साध्वी डॉ राजुलप्रभा ने मंत्र महिमा गीत का सुंदर संगान कर वातावरण को मंत्रमय  बना दिया। साध्वी शौर्यप्रभा ने आगम वाणी का रसपान करवाया।

            स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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