नागदा (निप्र)– महावीर भवन में विराजीत पूज्य महासति दिव्यज्योतिजी म.सा. ने मंगलवार का विश्लेषण करते हुए कहा कि मंगल आपकी कुण्डली में ग्रहो के रूप में आता है तो वह अत्यन्त ही मंगलकारी होता है। जैन समाज के नवकार मंत्र में चारो मंगल का सबसे बड़ा हितकारी एवं सफलता का सुचक बताया गया जो अरिहंत मंगलम्, सिद्ध प्रभु मंगलम्, साधु जीवन मंगलम् एवं जैन धर्म मंगलम् ।
यह चारो जो भी प्राप्त कर लेता है वह संसार के भव सागर को पार कर लेता है एवं जीवन में पापो का गलना क्षय प्रारम्भ होना चालु हो जाता है। यहि मंगल है और इससे हमारा कभी भी अमंगल नहीं होता है। उच्च स्थान पर मंगल अत्यंत भाग्यशालीयों को ही मिलता है। भारतीय संस्कृति एवं इतिहास में भी मंगल को साहस एवं कत्र्तव्यनिष्ठा का प्रतीक माना गया है एवं वह साहसी होता है एवं शत्रुओं पर तुरन्त जीतने का साहस रखता है एवं कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता है। मंगल डरता भी है एवं कराता भी है दंगल भी मंगल कराता है।
मीडीया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि पूना महाराष्ट्र के श्रीसंघ ने गुरूदेव के दर्शन वंदन कर आशीर्वाद प्राप्त कर प्रवचन का लाभ लिया। आयम्बील उपवास एकासना सहित अनेक तपस्या चल रही है। संचालन राजेन्द्र कांठेड़ ने किया एवं आभार श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाशचन्द्र जैन लुणावत एवं चातुर्मास अध्यक्ष सतीश जैन सांवेरवाला ने माना।
दिनांक 01/11/2022
मीडिया प्रभारी
महेन्द्र कांठेड
नितिन बुडावनवाला