*☀️प्रवचन वैभव☀️*
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276)
भ्रम से
मुक्ति ही धर्म का
उद्देश्य एवं सफलता हैं.!
277)
पापकार्य से दुख एवं
पुण्य से अनुकूलता मिलती हैं
धर्म से पुण्य,अधर्मसे पापबंध..!
तो आप क्या अपनाओगे.?
धर्म या पाप..?
आपके जवाब से
आपका स्तर तय होगा.!
278)
वर्तमान में
समत्वपूर्वक
दुख सहन करेंगे तो
भविष्य के आर्तध्यान से
मुक्ति मिल जावेगी…!
279)
ज्ञानशून्य क्रिया
सात्विक नही हो सकती.!
280)
परमात्मा पधारेंगे
तो पाप स्वतः चले जायेंगे.!
जैसे सूर्य के आगमन से
अंधेरा विलीन हो जाता हैं.!
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*प्रवचन प्रवाहक:*
*युग प्रभावक वीर गुरुदेव*
*सूरि जयन्तसेन चरण रज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर