पुज्य प्रवर्तक की प्रकाश मुनिमी मासा. — जीवन साधना के लिये मिला के भोग के लिये मिला? भव परम्परा से जीव चलता है, आयुष्य पुरा हुआ शरीर को छोड़कर जाना। परमात्मा का उपदेश मुख्यतः मनुष्य के लिये, मनुष्य में बुद्धि ज्यादा होती है। मतलब जुगाड़ – जुगाड में बुद्धि का उपयोग होता है, मनुष्य सुनकर मनन
करके जीवन में उतार सकते है। परमात्मा की वाणी मनुष्य के लिये है,।
🔰 10 वे आश्चर्य में एक आता है कि *भगवान महावीर स्वामी की पहली देशना खाली गई*, केवल ज्ञान के बाद उनको बोलना ही है, मोन खुलता है, मनुष्य नहीं थे , देवता और तिर्यंच थे। भगवान पावापुरी पधारे, 11 गणधर 4400 शिष्यों के साथ यज्ञ कर रहे थे। आर्यवृत्त में ,11 पंडितो का नाम चलता था। भगवान रातभर विहार करके यहाँ आये। छदमस्तों के लिये प्रतिबंध है रात्रि को विहार नही करना ,
*सुनना सबकी करना मनकी,* देखा देखी क्यो ? देखा देखी वृत वाले की करो, साधु-साध्वी को करो !, तपस्वी की करो!
🔰केवली के साथ नियम का बंधन नहीं है वे नियम का उल्घन नहीं करते है ।
🔰मनुष्य जितना भोगी है उतना कोई नहीं। पांचों इंद्रियों के भोग में सारी जींदगी बिताता है *मोह से*, विषयों का मोह । मनुष्य में विशेषतः *मान संज्ञा* ज्यादा होती है। हमें *तृप्ति* आज तक नहीं हुई।
🔰 *सुख* -जिस सुख में बाधा नहीं वह *अव्याबाध सुख* है। जो सुख दीखता है वह सुख नहीं । आप शांत बैठे है सुख है ।
*आसक्ति* छोड़ दो? यह समय वापस मिलने वाला नही है । मनुष्य अकेला नहीं रह सकता।
🔰 *भोग* दुःख का कारण है *त्याग* सुख का कारण है। सुख आत्मा का विषय है। आत्मा अकेली सुखी रहती है, दो हुई आत्मा दुःखी । भोग में जुडे है, साधन से मोह, मोह के कारण समय जा रहा है। भोग में दुःख हे त्याग में सुख है। *यह शरीर भी संदेश देता है भोग में दुख हे त्याग में सुख है।* सहज छोड़ दे वह सुखी। कंजूस हमेशा दुःखी ।हमारी प्रवृत्ति बताती है कि भोग में सुख नहीं त्याग में सुख है । साधन(आधुनिक उपकरण) दुर हे ..आप सुखी है, आपके पास आये कुछ झण का सुख ।
परमात्मा का उपदेश- *त्याग मैं सुख है भोग में दुःख है।* मोह का भेद *भय* भी है, धन का मोह, साधनों का मोह हे यह कोई ले न जाय। आपने *धन में* सुख माना है! कमाने में सुख के दु:ख ?अब धन आ गया खर्च नही हो जाये, फिर दुःख रखना कहाँ! छिपा के रखना, उसके बाद संरक्षण का दुःख, उसके बाद बाटने का दुख(हिस्से पाती) धन हमेशा दुख देता है, हम सुखी के तुम ! तुमने सुख मान रखा । जो कमाता है वह कम खर्च करता है दुसरे उसका उपयोग करते है। मिला क्या? टेंशन फ्री में, दवा फ्री में, तकरार फ्री में। कहाँ सुख हे? कौन सा सुख कमा रहे हो।
अपनी संतान को दुःख में डाल रहे हो! तुम अपने बच्चो को तुम ABC सिखाते हो, लक्ष्य दिया *पढ़ाई, कंपनी में नौकरी करना, पैसा कमाना* घर आने देते नहीं।