चेन्नई. न्यू वाशरमैनपेट जैन स्थानक में विराजित साध्वी साक्षीज्योति ने कहा जिस प्रकार याद रखने की तरह ही भूलना भी एक कला है। जिसे याद रखना आता है और भूलना नहीं आता, वह जीवन में कभी भी सफल इन्सान नहीं बन सकता। यदि भूलना नहीं आया तो जीवन अधूरा है।
वैर-विरोध बने रहेंगे, क्रोध बढ़ता रहेगा, मन वेदनाओं से भरता रहेगा, आंखों से आंसू बहते रहेंगे, दिन का चैन और रात की नींद खत्म होती रहेगी और यह मेष वैर बनकर कई जन्मों तक चलता रहेगा जिससे एक ही नहीं अनंत जन्म बिगड़ जाएंगे।
अत: पुराने विरोध को भूल जाओ। जिसमें भूलने की ताकत नहीं है वे सदा अशांत रहते हैं। हर समय दिमाग में बवंडर उठता रहता है। व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है।
दो बात कभी किसी को भी कह दो, उसके दिमाग में घूमती रहेगी कि उसने ऐसा क्यों कहा। सालों बीत जाते हैं मेरा अपमान क्यों किया। इसलिए भूलना सीखें। संचालन गौतम मेहता ने किया।