चेन्नई. रूप सुकन विहार धाम पदालम में विराजित उपप्रवर्तक विनयमुनि ने कहा कि जो मनुष्य दूसरों के कार्य को पूरा कराने में खुद का समय लगाते हंै, उनका कोई भी कार्य नहीं रुकता बल्कि अपने आप ही हर कार्य सफल हो जाता है।
उन्होंने कहा सेवा करके मनुष्य समुद्र जैसे जीवन को पार कर सकता है इसलिए प्रत्येक मनुष्य को सेवा भाव के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। सेवा करने का जब भी मौका मिले तो पूरी निष्ठा के साथ उस कार्य को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। सागरमुनि ने कहा रोटियां पेट की ज्वाला को शांत करने के लिए होती हैं। अगर जरूरतमंदों के पेट में रोटी डाला जाए तो उनका पेट जरूर भरेगा, लेकिन देने वालों को अद्भुत आनंद का अनुभव होगा।
किसी भूखे प्राणी का सहयोग करने से आने वाले भव में अमर फल की प्राप्ति होती है। मनुष्य को अपने मन में अतिथि को पहले खिलाने का भाव रखना चाहिए। जैसे मन में भाव होंगे वैसा ही जीवन का चित्र बनता चला जाएगा।
उन्होंने कहा मनुष्य अगर अपने पेट के साथ भुखे लोग के पेट को भी भरने का कोशिश करेगा तो उसका अच्छा मार्ग अपने आप गठित होने लगेगा। भगवान महावीर कहते हैं कि जितना भला हो सके भला कर देना चाहिए।
भला कभी भी निष्फल नहीं होता है। लेकिन मनुष्य को बाहरी मन से नहीं बल्कि भाव से ही कोई कार्य करना चाहिए। इससे पहले साहुकारपेट संघ के अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी सहित सदस्यों ने गुरुभगवंतों की सेवा का लाभ लेकर आशीर्वाद लिया। बुधवार को गुरुभगवंत विहार कर मदुरांतकम पहुंचेंगे और वहीं पर प्रवचन होगा।