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ज्ञान वाणी

भीतर में शक्ति केन्द्र को जागृत करती है जप साधना : कपिल मुनि

भीतर में शक्ति केन्द्र को जागृत करती है जप साधना : कपिल मुनि

चेन्नई: यहाँ गोपालपुरम स्थित भगवान महावीर वाटिका में श्री कपिल मुनि जी म.सा. ने शुक्रवार को अपने प्रवचन के दौरान कहा कि नवरात्री के पवित्र दिन शक्ति उपासना और आराधना का अनुपम अवसर है । अपने व्यक्तित्व को तेजोमय और शक्तिशाली बनाने की साधना करने के लिए काल की दृष्टि से इन दिनों का ख़ास महत्त्व है । इस संसार में जीने के लिए शक्तिशाली बनना बेहद जरुरी है । क्योंकि यहाँ वही जीवित रह सकता है जिस में संघर्षों से जूझने की ताकत है ।

बेचारा शक्ति विहीन व्यक्ति का तो अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाता है । अनंत शक्तिमान तीर्थंकर परमात्मा की श्रद्धापूर्ण भक्ति स्तुति के रूप में लोगस्स, उवसग्गहर स्तोत्र, वज्रपंजर स्तोत्र आदि का जाप भी हमारे भीतर शक्ति केंद्र को जागृत करता है जिसके सहारे हम अपने आपको स्वस्थ,सुरक्षित और आत्म निर्भर बना सकते हैं और गुणियों की स्तुति से नमस्कार पुण्य का लाभ भी अर्जित कर सकते हैं जिससे आतंरिक और बाहरी सम्पदा की वृद्धि होती है । जप साधना जीवन की अनमोल निधि है ।

 जिस व्यक्ति के भीतर सम्यक्त्व का उजाला हो गया है वह किसी में दोष व बुराई नहीं देखता अपितु स्वयं के दोषों की निगरानी रखते हुए दोषमुक्त बनने के लिए हमेशा जागरूक रहता है । उसका ह्रदय दरियादिल होता है अपने दोषों के प्रति कठोर और अन्य की गलती के प्रति क्षमाभाव के रवैया को अपनाता है । मुनि श्री ने कहा कि जिनके दिल में भगवान की वाणी और सत्य धर्म के प्रति श्रद्धा का अभाव है वे लोग पाप की पूंजी बढ़ाते बढ़ाते अंततः पतन की खाई खोद लेते हैं । जब तक पुण्य का उदयकाल है तब तक हजारों अपराध माफ़ हो सकते हैं ।

व्यक्ति को यह नहीं भूलना चाहिए कि पाप और अनैतिक कर्म कभी नहीं छुपाया जा सकता है । पाप का घड़ा एक दिन जरूर फूटता है । इसलिए व्यक्ति को प्रत्येक प्रवृत्ति विवेकपूर्वक करनी चाहिए । धर्म की आराधना में प्रमाद नहीं करते हुए तन मन और धन से समर्पित होना चाहिए तभी जीवन का उद्धार हो सकेगा । मुनि श्री ने कहा कि सृष्टि के हरेक प्राणी को ससम्मान जीने का अधिकार है । यहाँ कोई छोटा बड़ा नहीं है । छोटे बड़े का भेद प्रभेद यह संकीर्ण दिमाग की उपज है । सभी प्राणियों के अस्तित्त्व को सहर्ष स्वीकार करना ही अहिंसा है ।

किसी के साथ विचार भेद होने पर विरोध करना भी हिंसा का प्रतिरूप है । मतभेद के चलते पवित्र सम्बन्ध का उच्छेद करना नादानी की निशानी है ।प्रवचन के पूर्व जैन धर्म में सर्वाधिक प्रचलित प्रभावक स्तोत्र, मन्त्र, छंद आदि का जाप अनुष्ठान भी किया गया । इस मौके पर माम्बलम संघ के उपाध्यक्ष डॉ उत्तमचंद गोठी, दिलीप गादिया, प्रकाशचंद ललवाणी, पदमचंद बैद, वच्छराज भलगट, आलोक गोलेछा, सुमेरचंद बैद आदि गणमान्य व्यक्ति सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे । संघ मंत्री राजकुमार कोठारी ने बताया कि शनिवार व रविवार को सवेरे 9 बजे से 10.30 बजे तक सर्व सिद्धि प्रदायक जप अनुष्ठान और प्रवचन आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे । संघ अध्यक्ष अमरचंद छाजेड़ ने सभी का सत्कार किया ।

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