अपने निंदक स्वयं बने ओर आत्मा की सफाई करते रहे-दर्शनप्रभाजी म.सा.
गोड़ादरा स्थित महावीर भवन में चातुर्मासिक प्रवचन
Sagevaani.com /सूरत। जीवन में जो समय बीत चुका वह लौट कर नहीं आता। इसलिए बीते हुए का पछतावा करने से अधिक ध्यान जो समय आने वाला है उसे कल्याणकारी कैसे बना सकते इस पर देना चाहिए। धर्म ध्यान के माध्यम से हम अपने को निर्मल व पावन बना सकते है। हमे आत्मा की खोज बाहरी दुनिया में अपने भीतर करनी होगी। हमने अपनी भीतर के भाव शुद्ध कर लिए तो जीवन का लक्ष्य पूर्ण हो जाएगा। हर हाल में हम अपने धर्म व श्रद्धा पर अडिग रहना चाहिए।
ये विचार मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. ने मंगलवार को श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में महावीर भवन में आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। रोचक व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि आत्मा का कल्याण व उत्थान धर्म का अनूठा प्रभाव है। सच्चे मन से धर्म की आराधना हमारे सारी समस्याओं का समाधान कर सकती है। जिनशासन भावों पर टिका है। वह धर्म के नाम पर हमारे दिखावे को नहीं बल्कि भावना को देखता है। जिसका भावना शुद्ध होती है वह धर्म का मर्म जान लेता है।
उन्होंने कहा कि जीव इस जगत में अकेले आया ओर उसे अकेले ही जाना होेगा। महापुरूषों का चिंतन हमेशा परमात्मा की आराधना में रहता है। हमे जो समय मिला है उसे व्यर्थ नहीं गंवा सदपुयोग करना चाहिए ओर धर्म कार्य में लगाना चाहिए। पांच सामायिक लगातार करने पर एक उपवास का फल मिलता है। हम अपने निंदक स्वयं बने ओर आत्मा की सफाई करते रहे। पूज्य जयमलजी म.सा. ने आत्म आराधना करते हुए 52 वर्ष तक आड़ा आसन नहीं किया था।
सर्वव्याधि निवारक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत का जाप रूप रजत विहार में मंगलवार सुबह 8.30 से 9.15 बजे तक सर्वसुखकारी व सर्वव्याधि निवारक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत जाप का आयोजन किया गया। पूज्य दर्शनप्रभाजी म.सा. एवं हिरलप्रभाजी म.सा. ने ये जाप सम्पन्न कराया। इसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लेकर सभी तरह के शारीरिक कष्टों के दूर होने एवं सर्वकल्याण की कामना की। विद्याभिलाषी हिरलप्रभाजी म.सा. ने भजन संसार है यह परदेश सिद्धी है अपना देश की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा.,तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा.,सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। पर्युषण के बाद भी तपस्या का दौर जारी है।
प्रवचन में चार श्रावक-श्राविकाओं ने 9-10 की तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलालजी नाहर परिवार द्वारा किया गया। संचालन श्रीसंघ के उपाध्यक्ष राकेश गन्ना ने किया। आज की प्रभावना के लाभार्थी प्रकाशचन्द्रजी कुलदीपकुमारजी सिंघवी परिवार मालासेरी वाले रहे।
*श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, लिम्बायत,गोड़ादरा,सूरत*
सम्पर्क एवं आवास व्यवस्था संयोजक-
अरविन्द नानेचा 7016291955
शांतिलाल शिशोदिया 9427821813
*प्रस्तुतिः* निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा