Sagevaani.com /चैन्नई। दीपावली प्रकाश का उत्सव है। यह पर्व महज हमारे आसपास घरों के अंधेरों को ही दूर करने का नहीं बल्कि हमारे भीतर के अंधकार को प्रकाश में बदलने का पर्व है दिपावली।
साहुकारपेट जैन भवन के मरूधर केसरी दरबार में महासती धर्मप्रभा ने दिपोत्सव के पूर्व संध्या पर शनिवार को आयोजित धर्मसभा में श्रध्दांलूओ को सम्बोधित करतें हुए कहा कि जब मनुष्य अपने मन के काम क्रोध, लोभ,मोह का कचरा क्लोषित भावना ईर्ष्या -द्वेष आदि विकारों को दूर करके आत्मा मे ज्ञान का घी डालकर दीप प्रज्वलित करता है तो वह अपने अज्ञान रूपी अंधेरे को दूर करके जीवन मे खुशियों को प्राप्त कर पाएगा और आत्मा को संसार के बंधनों से मुक्त करवा सकता है ।
साध्वी स्नेहप्रभा ने भगवान महावीर स्वामी की दिव्य धर्म देशना श्रीमद् उत्तराध्ययन सूत्र के बत्तीसवें एवं तेतीसवें अध्याध्य पमायट्ठाणं और कम्मप्पयडी पाठ के अध्ययन प्रमाद और अप्रमाद का भेंद बताते हुए कहा कि प्रमाद संसार के आकर्षण कि ओर खिचता है और आसक्ति मे डूबोकर संसार में आत्मा को अटकाता और भटकाता है जबकि अप्रमाद करने पर आत्मा को संसार से मुक्ति की प्राप्ति होती हैl
साहुकारपेट श्रीसंघ के कार्याध्यक्ष महावीर चंद सिसोदिया ने जानकारी देतें हुए बताया इस दौरान अनेक बहनों और भाईयो ने तेले तप,उपवास आयंबिल,एकासन और मौन के साध्वी वृंद से प्रत्याख्यान लिए जिनका श्री संघ के उपाध्यक्ष सुरेश चंद डूंगरवाल, शम्भेसिंह कावड़िया मंत्री सज्जनराज सुराणा तथा महिला मंडल की बहनों ने अनूमोदना की । दिनांक 14 नवम्बर मंगलवार को प्रातःकाल 7 बजें से 8:30 बजें तक महासती धर्मप्रभा जी दिपावली की पांच दिवसीय मौन साधना का आयोजित विषेश धर्मसभा मे सभी श्रध्दांलूओ को महामंगल प्रदान करेगें।
प्रवक्ता सुनिल चपलोत,
श्री एस.एस.जैन भवन, साहुकारपेट, चैन्नई