मौन साधना सम्पन
चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने विजय दशमी के इस शुभ अवसर पर सभी को अपने भीतरी रावण को जला देना चाहिए।
जब तल अंदर के रावण को नहीं जलाएंगे बाहरी रावण को जलाने से कुछ नहीं होगा। मनुष्य के सुख दुख का कारण उसके अंदर का रावण है। सुखी बनना है तो उसको बदलना होगा।
विजयादशमी का दिन सत्य की जीत ,धर्म की जीत है , साध्वी समिति ने श्रीपाल चारित्र के माध्यम से कहा कर्मो की घाटी बहुत कठिन होती है। इसमें अगर संभल कर नहीं चला तो सुकून भरी जिंदगी नर्क बन जाएगी। गलत कर्म मनुष्य को यहीं भोग कर जाना है।
यहाँ करने वालो को सजा कहीं और नहीं बल्कि यहीं भुगतना होता है। उन्होंने कहा कि धर्म के प्रति अगर सच्ची श्रद्धा आ जाये तो निश्चय ही जीवन सुखी बन जायेगा। लोग धर्म के कार्य तो बहुत करते हैं लेकिन उसमें सच्ची श्रद्धा नहीं दिखती है। जब तक सच्ची श्रद्धा नहीं आएगी तब तक धर्म सफल नहीं हो सकता है।
नवपद आयंबिल पर भरोसा रखने वालों को कभी निरासा नही मिलती है। आयंबिल तप करने के साथ अगर भरोसा दिखेगा तो जीवन बदल जायेगा।इससे पूरव साध्वी सिद्धि सुधा की नवदिवसिय मौन साधना सम्पन हुई एवम महामागलिक हुआ ,कार्यर्कम मे संघ अध्यक्ष आनंद मल छलाणी ,निरमल मरलेचा, महावीर सिसोदिया , जेपी , सुरेश, ललवाणी, वइस राज राका समेत अनेक उपनगरों से.लोग उपस्थित रहे।