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भीड़ में भी अकेले जीने की कला सीखे : मुनि सुधाकर

भीड़ में भी अकेले जीने की कला सीखे : मुनि सुधाकर

आज के नगरों में हर गली में जनता की भीड है, मनुष्य के समक्ष ना ना प्रकार की समस्याओं की भीड़ है तथा मस्तिष्क में ना ना प्रकार की कल्पनाओं और संकल्प-विकल्पों की भीड है। पर जो मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होता है, वह भीड़ में भी अकेला जीने में सफल हो सकता है। सुखी और सफल जीवन के लिए इस कला को सीखना जरूरी है। जितनी भी धार्मिक साधना और उपासनाऐं है, उनका सही उपयोग करे हम इस कला का विकास कर सकते है। जब भी हम उपासना करें तब संसार की मोह माया से हटकर अपने साथ एकान्त में जीने का अभ्यास करें इसी का नाम है सामयिक ।

मुनि श्री ने आगे कहा, इससे हमारे विचार और संस्कार स्थिर और एकाग्र बन जायेंगें। पर आज उपसनाऐं भी याचना प्रधान हो गई है। इसमें सुधार और बदलाव की जरूरत है। ध्यान की साधना से हम भीड़ और कोलाहल में भी अकेले जीने में सफल हो सकते है।

भगवान महावीर ने बारह प्रकार की तपस्याएं बताई है। उनमें निराहार तपस्या का प्रमुख स्थान है। जिनका आत्मबल महान होता है, वे ही इस प्रकार की तपस्या कर सकते है। भगवान महावीर ने अहिंसा, संयम और तपस्या की त्रिवेणी में स्नान करने पर बल दिया है l तीनों का गहरा सम्बन्ध है। तप के बिना संयम नहीं और संयम के बिना अहिंसा की साधना नहीं हो सकती। असंयम और उपभोगवादी मनोवृति से हिंसा का जन्म और विस्तार होता है। आज जो हिंसा और भष्ट्राचार की समस्या का विकराल रूप दिखाई दे रहा है। उपभोगवादी मनोवृत्ति उसका प्रमुख कारण है l विवेक पूर्वक तपस्या करने से हमारी वृत्तियों का शोधन और परिवर्तन हो जाता है।

मुनि श्री नरेशकुमारजी ने ध्यान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए सुमधुर गीत का संगान किया l इस अवसर पर कई तपस्वी भाई बहनों का तेरापंथ ट्रस्ट माधावरम की ओर से अभिनंदन किया गया l जिसमें मुनि श्री के मुखारविंद से अनेकों भाई बहनों ने अठाई एवं उससे बड़ी तपस्या के प्रत्याख्यान किए l तेरापंथ ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी घीसुलाल जी बोहरा उपाध्यक्ष रमेश जी परमार महासभा के आंचलिक संयोजक ज्ञानचंद जी आंचलिक, अशोक जी परमार, गौतम जी समदड़िया, गौतम जी बोहरा, माणकचंद जी रांका आदि ने तपस्या का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सुरेश जी रांका का ने किया।

माधावरम तेरापंथ ट्रस्ट की ओर से सुरेश जी रांका ने बताया जयाचार्य युग की श्राविका गौरव सुखीबाई की दृढ़ धर्मिता पर आधारित जीवंत जैसा नाट्य मंचन तेरापंथ नगर के श्रावक श्राविकाओ ने किया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थेl नाट्य की परिसंपन्नता पर सभी ने ॐ अर्हम करके नाट्य मंचन की विशेष अनुमोदना की l साय: प्रतिक्रमण श्री जयंतीलालजी सुराना ने करवायाl माधावरम ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी घीसुलाल जी बोहरा ने बताया आज आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल में संवत्सरी पर्व का आयोजन किया जाएगा l

            स्वरुप चन्द दाँती

              मीडिया प्रभारी

श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ ट्रस्ट, माधावरम्

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