रहुतनहल्ली, बेंगलुरु (कर्नाटक): बेंगलुरु की धरती को पावन बनाने वाले, जन-जन को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का पावन संदेश देने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ शनिवार को पांच दिवसीय प्रवास हेतु रहुतनहल्ली स्थित भिक्षुधाम में पधारे।
महातपस्वी के पावन चरणों का स्पर्श पाकर यह धाम भी मानों निहाल हो उठा। भिक्षुधाम मंे भिक्षु के परम पट्टधर का मंगल पदार्पण कई नए कीर्तिमानों की स्थापना करने वाला था। पांच दिनों के प्रवास के दौरान इसी धाम से तेरापंथ धर्मसंघ के दसमाधिशास्ता, युगप्रधान आचार्य महाप्रज्ञ के जन्म शताब्दी वर्ष के शुभारम्भ का ऐतिहासिक आयोजन होने वाला है तो वहीं बेंगलुरु की धरती पर आचार्यश्री द्वारा दीक्षा समारोह भी होना है।
इस पुण्यस्थली से एकबार कीर्तिधर आचार्यश्री महाश्रमणजी द्वारा अनेक कीर्तिमानों की स्थापना होगी जो तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो जाएगा।
बेंगलुरु महानगर की धरती को अपने ज्योतिचरण से आलोकित करने वाले शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ जिन्दल पब्लिक स्कूल से मंगल प्रस्थान किया। तो जिन्दल परिवार के श्री सीताराम जिन्दल की प्रार्थना पर जिन्दल परिवार द्वारा स्थापित जिन्दल इंस्टीट्यूट परिसर में पधारे।
जहां श्री जिन्दल से आचार्यश्री का संक्षिप्त वार्तालाप भी हुआ। विहार के दौरान आचार्यश्री विहार मार्ग के निकट सुप्रसिद्ध श्रीहनुमान मंदिर परिसर में भी पधारे। इस प्रकार लगभग छह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ बेंगलुरु की धरती पर प्रथम पंचदिवसीय प्रवास के लिए रहुतनहल्ली में स्थित भिक्षुधाम परिसर में पधारे। श्रद्धालुओं ने यहां आचार्यश्री का भावभीना अभिनन्दन किया।
इस परिसर में बने भव्य प्रवचन पंडाल में समुपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम असाधारण साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी ने उत्प्रेरित किया। तत्पश्चात् आचार्यश्री मंचासीन हुए तथा समुपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के भीतर अनेक वृत्ति होती है। उनमें एक वृत्ति गुस्से की होती है। आदमी में आक्रोश की वृत्ति भी होती है।
कई आदमी कम गुस्से वाला अथवा शांत प्रवृत्ति वाले तो कई लोग बहुत गुस्से वाले होते हैं। आवेश करना आदमी की कमजोरी होती है। गुस्सा अच्छी बात नहीं होती। गुस्सा मनुष्यों का एक शत्रु होता है। आदमी को गुस्से बचने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आदमी को शांति में रहने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्य भिक्षु के जीवन से प्रेरणा लेकर कार्यकर्ताओं को भी अपने जीवन शांति रखने का प्रयास करना चाहिए। स्थिति अनुकूल हो अथवा प्रतिकूल चिन्तन के कई आलम्बनों के माध्यम से गुस्से को आने से रोका जा सकता है। आचार्यश्री ने भिक्षुधाम में पदार्पण के संदर्भ में आचार्य भिक्षु का स्मरण करते हुए ‘भिक्षु बाबा लो हमारी वन्दना’ गीत का आंशिक संगान भी किया।
लगभग साढ़े पांच वर्ष बाद आचार्यश्री के दर्शनार्थ पहुंची साध्वी मधुस्मिताजी को आचार्यश्री ने पावन आशीष प्रदान करते हुए वर्ष 2019 का चतुर्मास गुरुकुलवास में करने की घोषणा की। आचार्यश्री की इस कृपा से निहाल साध्वी मधुस्मिताजी ने आचार्यश्री के प्रति अपने भावसुमन अर्पित करते हुए सिंघाड़ें की साध्वियों संग गीत का संगान कर श्रीचरणों की अभ्यर्थना की।
साध्वी राजुलप्रभाजी तथा साध्वी चैतन्यप्रभाजी ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी विनयांजलि अर्पित करते हुए छन्दों की माला श्रीचरणों में समर्पित कर आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति-बेंगलुरु के अध्यक्ष श्री मूलचंद नाहर, भिक्षुधाम के अध्यक्ष श्री धर्मीचंद धोका, मंत्री श्री पवन चोपड़ा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं व ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपने भावसुमन श्रीचरणों में समर्पित किए। चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा आचार्यश्री के समक्ष ‘तेरापंथ बेंगलुरु’ एक का लोकार्पण किया। इस एप के संयोजक श्री दिनेश चोपड़ा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।