चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा उत्राध्यान सूत्र की पावन देशना के श्रवण करने से पहले मनुष्य को अपने भाव सुद्ध कर लेने चाहिए।
मनुष्य के जीवन का बदलाव उसके भाव पर ही निर्भर करता है। जैसा जिसका भाव होगा वैसा ही उसके जीवन मे बदलाव होगा। अगर भाव अच्छे होंगे तो निश्चय ही मार्ग अच्छे गठित होंगे। अगर भाव गलत रख कर अच्छे कार्य भी किये गए तो वह भी बेकार हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि भाव मे बहुत ताकत होती है। उसपर मनुष्य का पूरा भविष्य निर्भर होता है। इसलिए कोई भी कार्य करने से पहले उसके प्रति अपने भाव की जांच कर लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर मनुष्य अपने इंद्रियों पर नियंत्रण कर ले तो उसको भटकना नहीं पड़ेगा। वर्तमान में लोग अगर भटक रहे हैं तो वह सिर्फ कंट्रोल नहीं होने की वजह से हो रहा है। लेकिन जीवन मे आगे जाने के लिए मनुष्य को अपने इंद्रियों पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। जो मनुष्य अपनी सभी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर लेता है वह विजयी हो जाता है।
उन्होंने कहा कि शुद्ध भोजन करने वालो का मन शुद्ध और सात्विक रहता है। इसलिए मनुष्य को हमेसा शुद्ध भोजन ही करना चाहिए। जीवन का मिलना आसान नहीं है इसलिए इसकी कीमत भी आपको ही समझनी पड़ेगी। जब तक कीमत नहीं समझेंगे तब तक भटकाव खत्म नहीं होंगे। संचालन मंत्री देवीचंद बरलोटा ने किया ।