सूरत। राष्ट्र-संत महोपाध्याय ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि जैसे बिना पानी का तालाब और बिना पैसे का पर्स काम का नहीं होता ठीक वैसे ही बिना प्रेम का परिवार होता है। अगर हम अपने सातों वारों को आनंददायी बनाना चाहते हैं तो पहले आठवें वार परिवार को प्रेम और मिठास से भरें। उन्होंने कहा कि पहले पाँच भाई छोटे घरों में भी जैसे-तैसे साथ रहना चाहते थे क्योंकि उनके दिल बड़े थे, आज दो भाई भी जैसे-तैसे अलग होना चाहते हैं क्योंकि मकान तो बड़े हो गए, पर लोगों के दिल बहुत छोटे हो गए।
पहले एक माँ-बाप पाँच बेटों को पाल-पोषकर बड़ा कर लेते थे और आज पाँच बेटे मिलकर भी एक माँ-बाप का पालन-पोषण कर नहीं पा रहे हैं। चुटकी लेते हुए संतप्रवर ने कहा कि लोगों ने आजकल अपने बूढ़े-बुजुर्गों की सेवा को नौकरों के भरोसे छोड़ दिया है। क्या पत्नी से प्यार करना हो तो उसे भी नौकरों के भरोसे छोड़ते हो। अब हम छोटा परिवार सुखी परिवार का नारा हटाएँ और प्रेम भरा परिवार सुखी परिवार का नारा अपनाएँ।
संत ललितप्रभ बुधवार को समस्त सूरत खरतरगच्छ जैन श्री संघ एवं ललितचन्द्रप्रभ सूरत प्रवास व्यवस्था समिति के तत्वावधान में साकेत टेक्सटाइल मार्केट परिसर, आईमाता चैक के पास, पर्वत पटिया में आयोजित छः दिवसीय प्रवचनमाला के दौरान घर को कैसे स्वर्ग बनाएं विषय पर हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि माँ-बाप का रिश्ता दुनिया का सबसे बड़ा रिश्ता है क्योंकि वह रिश्ता जन्म से नौ माह पहले ही शुरू हो जाता है। माँ-बाप तो भगवान से भी बड़े दाता है जिन्होंने नख से लेकर शिख तक हमें सब कुछ दिया है।
इसलिए एक बार भाग्य या भगवान भी हमसे रूठ जाए तो कोई दिक्कत नहीं, पर माँ-बाप हमसे रूठने नहीं चाहिए। संतप्रवर ने कहा कि वे लोग किस्मत वाले होते हैं जिनके सिर पर माँ-बाप का साया होता है। याद रखें, माँ-बाप उस बूढ़े पेड़ की तरह होते हैं जो फल भले ही न दे, पर छाया जरूर देते हैं। कहते हैं, बच्चा जब पैदा होता है तो माँ को उतना दर्द होता है जितना दर्द एक साथ बीस हड्डियों के टूटने पर हुआ करता है। जिन्होंने दर्द सहकर हमें जन्म दिया हम संकल्प लें कि हम उन्हें कभी दर्द नहीं देंगे। अगर हमारे कारण उनकी आँखों में आँसू आ गए तो इससे बड़ा और कोई पाप नहीं होगा।
पति को श्रवणकुमार बनाएँ-संतप्रवर ने महिलाओं से कहा कि अगर वे श्रवणकुमार की माँ बनना चाहती है तो कुछ न करें बस अपने पति को श्रवणकुमार बना दें। आखिर दुनिया में वही लौटकर आता है जैसा हम दूसरों को दिया करते हैं। उन्होंने युवाओं से कहा कि महीने में कुछ दिन अपनी बूढ़ी माँ या दादी के पास सोने की भी आदत डालें। रात को आपके कुछ हो जाए तो संभालने के लिए पत्नी है और पत्नी के कुछ हो जाए तो संभालने के लिए आप हैं, पर बूढ़ी माँ-दादी के रात को कुछ हो जाए तो…?
उन्होंने कहा कि हो सके तो माँ-बाप की किसी बात को न काटें। अपने मन की करने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है, पर माँ-बाप कोई हमेशा थोड़े ही रहने वाले हैं। अगर थोड़ा उनके मन मुआफिक करने से उन्हें खुशी मिल जाए तो इससे बढ़कर हमारा और क्या सौभाग्य होगा। उन्होंने कहा कि श्रवणकुमार ने तो माँ-बाप को कावड़ में बिठाकर कंधे पर उठाकर उनकी तीर्थयात्रा की मनोइच्छा पूरी की थी, हम कम-से-कम घर पर तो उनकी सेवा संभाल ही सकते हैं।
जॉब के नाम पर माँ-बाप को अकेले न छोड़ें-संतप्रवर ने युवाओं की आत्मा को झकझोरते हुए कहा कि जिन माँ-बाप ने कष्ट उठाकर हमारा भविष्य बनाया हम जॉब के नाम पर उन्हें अकेले छोड़कर कहीं उनका भविष्य तो नहीं बिगाड़ रहे हैं। आपको अपनी पत्नी को अपने साथ परदेश या विदेश ले जाना याद रहता है, पर माँ-बाप को साथ ले जाना क्यों याद नहीं रहता। जैसे आपने उनको भगवान भरोसे छोड़ दिया है सोचो बचपन में उन्होंने भी आपको भगवान भरोसे छोड़ दिया होता तो आप किसी की दया पर जीवन काट रहे होते। जब हमने पहली साँस ली तब वे हमारे पास थे, हम इतना पुण्य जरूर कमाएँ कि जब वे अंतिम साँस ले तो हम उनके पास हों। याद रखें, बेटा वो नहीं होता जिसे माँ-बाप जन्म देते हैं, असली बेटा वो होता है जो बुढ़ापे में माँ-बाप की सेवा-सुश्रुषा संभालता है।
माँ-बाप से कहें आई लव यू-संतप्रवर ने कहा कि वे लड़के-लड़कियाँ नासमझ होते हैं जो किसी वेलेंटाइन डे के आने पर किसी को छिप-छिपाकर आई लव यू कहते हैं, अगर कहना ही है तो अपने माँ-बाप, दादा-दादी से गले लगकर कहो – आई लव यू। जिंदगी में प्रेम की शुरुआत उससे मत करो जो कल मिला है वरन् उनसे करो जिनसे जीवन मिला है। फैमिली का मतलब ही है: फादर एंड मदर आई लव यू।
उन्होंने कहा कि कोई एक गिलास चाय पिलाए, एक किलोमीटर की लिफ्ट दे तो हम उसे थैंक्यू बोलते हैं, पर जो हमारे जिंदगी भर काम आते हैं क्या उन्हें हमें कभी थैंक्यू बोलना याद आता है। हम सुबह उठकर माँ-बाप को पंचांग प्रणाम करें, रात को सोते समय उनके पाँव दबाएँ। माँ-बाप से कभी अलग होने की न सोचें, उनकी सेवा के लिए सदा आगे रहें। संतप्रवर ने सास-बहू, भाई-भाई, देवरानी-जेठानी में भी प्रेम- रस घोलने के पाठ सिखाए। प्रवचन सुनकर सभी लोगों की आँखों में आँसू आ गए।
पारिवारिक भजन सुनकर श्रोता हुए आत्म विभोर-जब संतश्री ने आओ कुछ ऐसे काम करें जो घर को स्वर्ग बनाएँ। हमसे जो टूट गए रिश्ते हम उनमें साँध लगाएँ। हम अपना फर्ज निभाएँ.. का पारिवारिक भजन सुनाया तो श्रोता आत्म विभोर हो उठे।
इससे पूर्व मुनि शांतिपिय सागर ने कहा कि बोलना अगर चांदी है तो चुप रहना सोना है। हम तीन साल में बोलना सीख जाते हैं, पर क्या बोलना यह तीस साल में भी सीख नहीं पाते हैं। हमें दिमाग में आइस फ्रैक्ट्री, दिल में लव फ्रैक्ट्री और जुबान पर षुगर फ्रैक्ट्री खोलनी चाहिए। जिसके पास ये तीन चीजें हैं समझना दुनिया का सबसे अमीर आदमी है।
इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित किया। पूना के लोटस खाखरा की डायरेक्टर मनीसा दूगड़ ने भी सभा को संबोधित किया। साहित्य की प्रभावना अषोक पोखरना परिवार द्वारा समर्पित की गई।
बुधवार को होगा प्रवचनमाला का समापन-संयोजक बाबूलाल संखलेचा ने बताया कि बुधवार को भी राष्ट्र-संतों के सुबह 9.30 बजे साकेत मार्केट में प्रवचन कार्यक्रम आयोजित होंगे और इसी के साथ प्रवचनमाला का समापन समारोह भी सम्पन्न होगा।