इंदौर। कृष्णगिरी पीठाधिपति, यतिवर्य, विश्व शांतिदूत एवं राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने बुधवार को कहा कि व्यक्ति को भाग्य के सहारे बैठना नहीं चाहिए यदि भाग्य के सहारे बैठ जाएंगे तो आपको उम्मीद का भी सहारा लेना पड़ेगा, लेकिन वह उतना ही निराश करेगा।
बजाय इसके सत्य कर्म करते जाएं तो उम्मीद से भी अधिक आपको मिलने लगेगा। यहां श्री नगीन भाई कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में हृींकारगिरी तीर्थ धाम में दिव्य भक्ति चातुर्मास महोत्सव में अपने प्रवचन में डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने यह बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति के द्वारा किए गए कर्मों से ही उसका भाग्य संवरेगा। हर बेहतर परिणाम के पीछे ही कर्म होता है। बिना कर्म किए व्यक्ति की जिंदगी में परिणाम किसी भी प्रकार का आ नहीं सकता इसलिए अपने कर्मों पर ही नजर रखें।
उन्होंने कहा कि मनुष्य जैसा कर्म करेंगे फल वैसा ही पाएंगे। इसलिए भाग्य पर भरोसा जरुर करें लेकिन कर्म को छोड़ें नहीं, कर्म करते जाएं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने कर्म को ही प्रधान मानना चाहिए, जैसा कर्म करेंगे वैसा ही हमारा बही खाता भी होगा और उसका फल मिलेगा।
हालांकि भाग्य भी कर्म से ही बनता है जिसका प्रभाव समय-समय पर आता भी है। ट्रस्टी विजय कोठारी व वीरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि आज सुबह के सत्र में संतश्री वज्रतिलकजी की निश्रा में प्रतिक्रमण व सामूहिक भक्तामर मंत्र जाप किया गया।
धाम में ही प्रतिष्ठापित मूलनायक परमात्मा पार्श्वनाथजी की प्रतिमा का कौशल्या पारस जैन परिवार द्वारा विधिकारक हेमंत वेदमूथा मकशी द्वारा 50 दिवसीय 18 अभिषेक बुधवार को भी जारी रहा।
ट्रस्टी जय कोठारी ने बताया कि बुधवार को उदयपुर, प्रतापगढ़, मुम्बई समेत विभिन्न शहरों से श्रद्धालुओं ने संतश्रीजी के दर्शन, प्रवचन व मांगलिक श्रवण का लाभ लिया।
सोमवार से पर्यूषण पर्व में सामूहिक अठाई आयोजन होगा
हृींकारगिरी तीर्थ धाम में मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार अलौकिक व वैज्ञानिक रुप से पर्यूषण पर्व में सामूहिक अठाई आयोजन 26 अगस्त से होगा।
श्री नगीन भाई कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी विजय कोठारी व वीरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि कृष्णगिरी शक्ति पीठाधिपति, राष्ट्रसंत, यतिवर्य डॉ. वसंतविजयजी म.सा. की निश्रा में जो भी श्रावक-श्राविकाएं पर्यूषण पर्व में अपनी आराधना को सफल करना चाहते हैं उन्हें विभिन्न अलौकिक रुप से आत्म सजावट की ओर अग्रसर हो रहे हृींकारगिरी तीर्थ धाम में ही आवास की व्यवस्था करायी जाएगी।
उन्होंने बताया कि पर्यूषण पर्व में जो भी श्रावक-श्राविकाएं उपवास करने का भाव रखते हैं उन्हें आठ दिन तक हर प्रकार की उत्तम क्रियाओं से परिपूर्ण अठाई महोत्सव की आराधना पूर्ण करायी जाएगी।
ट्रस्टी जय कोठारी ने बताया कि तपस्या करने वाले श्रद्धालूओं के साथ यहां सुबह नित्य प्रतिक्रमण, भक्तामर पाठ, नित्य क्रिया आराधना-जप के साथ-साथ उत्तम रुप से प्रवचन सुनना, विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को सुनना, समझने का अद्भुत अवसर मिलेगा।