अकलेश्वर। राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ महाराज ने कहा कि उगता हुआ भाग्य देखना है तो जल्दी जगने की आदत डालें। जो उगता हुआ सूरज देखते हैं उनका भाग्य सदा उदित रहता है, पर डूबते हुए सूरज को देखने वालों का भाग्य भी डूब जाता है। चुटकी लेते हुए संतश्री ने कहा कि भारत में स्कूलें सुबह जल्दी खुलती है अन्यथा आधा भारत 10 बजे तक बिस्तर में ही सोया पड़ा रहता।
याद रखें, व्यक्ति ने जब भी कुछ पाया है तो जगकर ही पाया है। सोते-सोते आज तक किसी को कुछ नहीं मिला। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि वे माता-पिता बच्चों के दुश्मन है जो सूर्योदय के बाद भी बच्चों को बिस्तरों में देखना पसंद करते हैं।
संतश्री शुक्रवार को विध्याबेन सोहनलाल गांधी परिवार द्वारा स्वामीनारायण मंदिर हाॅल, जीआईडीसी, पुलिस स्टेशन के पीछे आयोजित दो दिवसीय प्रवचनमाला के समापन पर सैकड़ों भाई-बहनों को संबोधित कर रहे थे। दिन की शुरुआत प्रसन्नता और विनम्रता से करने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि सुबह जल्दी उठने के बाद जो एक मिनट तक मुस्कुरा लेता है वह चैबीस घंटे आनंद में रहता है।
व्यक्ति सुबह जब भी उठे आलस्य से नहीं ताजगी के साथ उठें, बिस्तर को समेटकर साइड में रखे, बड़े-बुजुर्गों को श्रद्धापूर्वक घुटने टिकाकर प्रणाम करे। जो माता-पिता के सामने घुटने टिका देता है उसे फिर कभी दूसरों के सामने घुटने टिकाने की नौबत नहीं आती है। प्रणाम करने से दुआएं मिलती है और दुआएं अपने आप में दौलत का काम करती है।
फिर व्यक्ति 15 मिनट योगासन, प्राणायाम और ध्यान कर स्वयं को ऊर्जावान बनाए, खुली हवा का सेवन करे, खाली पेट चाय न पिए, नाश्ते में गाय का दूध, फल और ज्यूस ले। उन्होंने गाय पालने की सलाह देते हुए कहा कि आजकल लोगों के घरों में कार व कुत्ते पालने की जगह है, पर गाय पालने की नहीं। एक गाय के हजार फायदे हैं। अगर हर हिंदू और जैन एक-एक गाय का पालन करना शुरू कर दे तो गायों के कत्लखाने अपने आप बंद हो जाएंगे। उन्होंने खान-पान को संयमित करने व मिर्च-मसालेदार-तली हुई चीजों और मिठाइयों से बचने की सलाह दी।
समय-प्रबंधन की सीख देते हुए संतप्रवर ने कहा कि 24 घंटों को 25 घंटे करना नामुमकिन है, पर व्यक्ति समय-प्रबंधन करना सीख जाए तो 24 घंटों में 25 घंटों के काम अवश्य कर सकता है। उन्होंने कहा कि हाथ में पहनी जाने वाली घड़ी समय को देखने के लिए नहीं, समय पर चलने के लिए है।
रूढे देवता को प्रयत्न करके प्रसन्न किया जा सकता है, पर बीते हुए समय को वापस लौटाया नहीं जा सकता। उन्होंने कार्यक्रमों में होने वाली लेट-लतीफी व माला, साफे और तिलक की परम्परा को अनुचित बताते हुए कहा कि तीन लोगों को खुश करने के लिए तीन हजार लोगों का समय बर्बाद करना बेबकूफी है। याद रखें, समय उन्ही का साथ निभाता है जो समय पर चलते हैं। व्यक्ति कार्यों की लिस्ट बनाकर समयबद्ध ढंग से कार्य सम्पन्न करे।
भाषा शैली का प्रबंधन करें-अंतिम गुर देते हुए संतप्रवर ने कहा कि भाषा ही एक ऐसा साधन है जो औरों के दिल में हमारी जगह बनाती है। हम पहले तौलें, फिर बोलें। प्लीज, थेन्कयू और सॉरी जैसे शब्दों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।
इससे पूर्व डाॅ. मुनि शांतिप्रिय सागर महाराज ने प्रभु प्रार्थना करवाते हुए जीवन में मिलने वाली हर परिस्थिति, वस्तु, व्यक्ति का मुस्कुराकर स्वागत करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि तस्वीर में तो हर कोई मुस्कुराता है, पर सच्चा इंसान वही है जो तकलीफ में भी मुस्कुराता है।
कार्यक्रम में गुरुजनों ने गांधी परिवार किया अभिंनदन-इस अवसर पर गुरुजनों ने सत्संग के लाभार्थी दीपक गांधी, दिलीप गांधी, राजेष गांधी, विरल गांधी परिवार को स्फटिक की माला देकर अभिनंदन किया।
राष्ट्र-संतों की 2 जनवरी से बड़ौदा में होगी प्रवचनमाला-राष्ट्र-संतों ने सोहन सदन में महामांगलिक देकर बड़ौदा की ओर विहार किया। वे भरूच, पालेज, लकोदरा, करजण होते हुए 2 जनवरी को बड़ौदा पहुंचेंगे जहां उनकी दो दिवसीय विराट प्रवचनमाला का आयोजन होगा। सकल जैन समाज और श्री खरतरगच्छ जैन संघ के तत्वावधान में 2 व 3 जनवरी को राष्ट्र-संतों के सुबह 9 बजे इंद्रपुरी अतिथि गृह, महावीरभवन चार रास्ता, रिलायंस पेटोल पम्प के पास, अजवा रोड़ पर प्रवचन कार्यक्रम आयोजित होंगे।