भाई दुज पर विशेष प्रवचन
Sagevaani.com /Chennai ए यम के यम स्थानक नार्थ टाउन में विराजित गुरुदेव जयतिलक मुनिजी ने कहा कि आत्म बंधुओ, आज भाई बहन का प्रसंग। संसार का एक बहुत ही मधुर और उत्तम रिश्ता है। क्योंकि इस रिश्ते में कोई विकार नहीं है। दोनों एक दूसरे के पूरक है। जिस घर में भाई-बहन दोनों है वह एक सम्पूर्ण परिवार है।
भाई-बहन दोनों के लिए रिश्ता बहुत महत्वपूर्ण है माता पिता के वियोग के बाद भाई पिता का स्थान और बहन माता का स्थान एक दूसरे के लिए ग्रहण करते है। दोनों एक दूसरे को हिम्मत देते है। बल देते है। पिता का आर्शीवाद
जिस बेटे पर हो वह कोई भी चुनौती स्वीकार कर लेता है। रक्षा बंधन के त्यौहार में भाई के दीर्घायु व आरोग्यता की बहन कामना करती है। पर आज वर्तमान में त्यौहार डिमांड का मौका बन गया है। पर वास्तव में त्यौहार शुभकामना और आर्शीवाद की वर्षा करने का पर्व है।
डिमांड तो कभी भी किसी भी समय भाई पूरी कर सकता है। इस पर्व में भाई बहन दोनों को एक दूसरे के भविष्य की सुखद कामना व आर्शीवाद देना चाहिए। पिता के न रहने पर भाई बहन के लिए एक पिता का कर्तव्य पालन करता है। पर यदि वही बहन रक्षा बंधन पर भाई को राखी बांधने सिर्फ इसलिए न आये कि मेरे भाई के पास कुछ देने को नही तो मै क्यों जाऊँ तो विचार किजिए तो भाई के हृदय में कितनी पीड़ा होगी।
बहन का अर्थ है ब-बड़प्पन हन = जो आने वाले = दुखों का हनन करे। वह बहन है। भगवान बाहुबली को बोध देने के लिए आदिनाथ भगवान ने उनकी बहनों ब्राह्मी-सुन्दरी को भेजा। मात्र स्तवन की दो पंक्तियों ने बाहुबली के अहम को तोड़ दिया और बहनों के बोध से उन्हें केवल दर्शन केवल ज्ञान की प्राप्ति करा दी। बहन का इतना उच्च स्थान हैं जो सांसारिक बाधा तो क्या मोक्ष में आने वाली बाधाओं को दुख दूर कर दिया। देती है इस बात का उल्लेख हमें आगमों में मिलता है भगवान निर्वाण के दूसरे दिन नंदीवर्धन की पीड़ा को दूर करने के लिए सुदर्शना ने उन्हें अपने पास बुला नया जीवन प्रदान किया। इसलिए भाई दूज मनाया जाता है। ज्ञानचंद कोठारी ने भाई दूज के अवसर पर सभी को बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित कि।