नागदा (निप्र)– पूज्य महासति दिव्यज्योतिजी म.सा. ने गुरूभक्तो से कहा कि घर, परिवार, समाज, रिश्तेदारों के मध्य आपसी संवाद, बातचीत चलती रहती है जिसमें भलाई एवं बुराई दोनो का समावेश होता है। यह दोनो मानव मन मस्तिष्क की वैचारीक धारणाएं प्रकट करती है। संसार में दो प्रकार के मानव होते है। सकारात्मक विचारधारा वाले को हर बात अच्छी लगती है एवं पाजीटीव सोच से सबकी प्रशंसा, बढ़ाई एवं सबके प्रति अपनी ओर से आशावादी बनकर सामने वाले का भी उत्साह वर्धन करता है इसके विपरीत नकारात्मक विचारधारा वाला मानव जहां भी जाता है वहां सबकी बुराई करते हुए निराशावादी बाते बोलकर अपना भी समय खराब करता है एवं सामने वालो को भी खुशी देने का बजाय दुःखी बनाने का कार्य करता है। पूज्य महासति काव्याश्रीजी एवं पूज्य नाव्याश्रीजी ने धार्मिक स्तवन से मन मोह लिया।
मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ व नितिन बुडावनवाला ने बताया कि तप चक्रेश्वरी महासति पूज्य सौम्याश्रीजी म.सा. के 20 उपवास की कठिन तपस्या चल रही है एवं इन्दुजी लोढ़ा के 2 उपवास, श्रद्धा संघवी के 2 उपवास की तपस्या चल रही है। सामुहिक जाप की प्रभावना का लाभ श्री प्रकाशचन्द्रजी राजेन्द्रकुमारजी लुणावत ने लिया। अतिथि सत्कार राजेश जी मोहनलालजी दलाल ने किया। संचालन अरविन्द नाहर ने किया एवं आभार चातुर्मास अध्यक्ष सतीश जैन सांवेरवाला ने माना।
दिनांक 21/09/2022
मीडिया प्रभारी
महेन्द्र कांठेड
नितिन बुडावनवाला