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भद्रतप के बाद हमें हमारा स्वभाव ‘भद्र’ बनाना होगा- आचार्यश्री उदयप्रभ सूरीजी

भद्रतप के बाद हमें हमारा स्वभाव ‘भद्र’ बनाना होगा- आचार्यश्री उदयप्रभ सूरीजी

भद्रतप की सफल पुर्णाहुति पर तीन दिवसीय महोत्सव शुरू हुआ

चेन्नई महानगर के छह जैन संघों के संयुक्त तत्वावधान और आचार्यश्री उदयप्रभ सुरीश्वरजी एवं आचार्यश्री युगोदयप्रभ सुरीश्वरजी के पावन सान्निध्य में सौ दिवसीय विराट भद्रतप की सफल पुर्णाहुति के उपलक्ष में तीन दिवसीय महोत्सव का आगाज हुआ। महोत्सव के दौरान परमात्म भक्ति स्वरूप शक्रस्तव महाभिषेक का आयोजन शुक्रवार प्रातः चंद्रप्रभु जैन नया मंदिर में संपन्न हुआ, जिसमें इंडियन आइडल सुप्रसिद्ध संगीतकार शिवमसिंह, उमंग भावसार और धीरज निब्जिया ने संगीत की मार्मिक प्रस्तुति देकर उपस्थित भक्तगणों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस मौके पर आचार्यश्री उदयप्रभ सुरीश्वरजी म.सा. ने उद्बोधन में कहा कि भद्रतप करके अपने मन, वचन एवं काया से किए हुए अनेक पापों एवं दोषों का निवारण हुआ है, परंतु इस भद्रतप के बाद हमें हमारा स्वभाव ‘भद्र’ बनाना होगा। ‘भद्र’ स्वभाव यानी सरलता का अभिगम। हमें मन में पापों का जमाव नहीं रखना है। गुरुदेव के समक्ष स्व के पापों का प्रगटीकरण करना है, यही सरलता का गुण कहलाता है। औरों के प्रति मन में वैर का भाव नहीं रखना है, वह भी सरलता का गुण है। यह सरलता मोक्ष का सरल एवं सरस मार्ग है। महावीर भगवान ने महाहिंसक अतिक्रूर चंडकौशिक जैसी आत्मा को भी अपनी भद्र मनोवृति एवं वात्सल्यपूर्ण व्यवहार से शांत कर अहिंसक बना दिया। प्रभु महावीर का यह आदर्श था कि हिंसक व्यक्ति को मारने मात्र से हिंसा बंद नहीं हो सकती।

आचार्यश्री ने कहा कि प्रभु के मस्तिष्क से बहती अभिषेक की धारा हमें शीतलता, पारदर्शिता और विशाल मनोवृति का संदेश देती है। जैसे जल, जो अभिषेक का द्रव्य है, वह स्वभाव से शीतल व पारदर्शी होता है। वह जैसा है, ट्रांसपेरेंट दिखाता है। साथ ही साथ मस्तिष्क के भाग से नीचे उतरते वह विशाल, विस्तृत बनता जाता है। यह शीतलता आदि तीन गुण हमें प्रभु के अभिषेक के अनुष्ठान से सीखने चाहिए। विशालता यानी हृदय की संकुचितता का त्याग और शीतलता यानी मन के क्रोध, मान, माया, लोभ आदि कषायों की गर्मी का त्याग और पारदर्शिता यानी मन के दंभ, पाखंड का त्याग। भद्रतप के इस अभिषेक अनुष्ठान में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया।

शनिवार को भद्रतप के तपस्वियों के बहुमान हेतु धर्मसभा का आयोजन वेपेरी स्थित गौतम किरण के प्रांगण में किया जाएगा। चेन्नई एवं अन्य शहरों के विभिन्न संघों के पदाधिकारीगण, ट्रस्टीगण एवं श्रावक- श्राविकाएं इस कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे। रविवार को तपस्वियों का विराट वरघोड़ा केएलपी संकल्प जैन संघ से प्रारंभ होकर वेपेरी स्थित गौतमकिरण पहुंचेगा, जहां तपस्वियों का पारणा कराया जाएगा।

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