दीपावली के दिन हुआ था प्रभू को मोक्ष, 25 को निकाली जाएगी आगम यात्रा
Sagevaani.com/शिवपुरी ब्यूरो। लगभग 2500 वर्ष पूर्व 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने पावापुर की पवित्र भूमि में मोक्ष गमन किया था। मोक्ष गमन के पूर्व भगवान महावीर के श्रीमुख से जो वाणी मुखरित हुई थी वह उत्तराध्यन सूत्र में संग्राहित है जिसे भगवान की अंतिमवाणी कहा जाता है। उत्तराध्यन सूत्र का वाचन शिवपुरी में चार्तुमास कर रहीं प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी करेंगी।
इसके पूर्व मूर्तिपूजक जैन श्वेताम्बर समाज के सचिव विजय पारख के निवास स्थान से 25 अक्टूबर को आगम यात्रा निकाली जाएगी। जो नगर के प्रमुख स्थानों से होती हुई कमला भवन पहुंचेगी जहां साध्वी नूतन प्रभाश्री जी भगवान की अंतिम वाणी का वाचन करेंगी। धर्मसभा में इंदौर और चैैन्नई से पधारे श्रावकों का जैन श्री शंख ने सम्मान किया।
गुरूणी मैया साध्वी रमणीक कुंवर जी ने बताया कि उत्तराध्यन सूत्र में जैन धर्म के 32 आगमों का सार है। इसे जैन धर्म की गीता कहा जाता है। गीता में 16 अध्याय है और उत्तराध्यन सूत्र में 32 अध्याय है। उत्तराध्यन सूत्र का वाचन प्रतिवर्ष साधू और साध्वी करते है। इसी कड़ी में साध्वी नूतन प्रभाश्री जी 25 अक्टूबर से दीपावली तक उत्तराध्यन सूत्र का वाचन करेंगी और भगवान महावीर द्वारा दिए गए उपदेश तथा संदेशों की व्याख्या करेंगी।
उत्तराध्यन सूत्र के पूर्व आगम यात्रा निकाली जाएगी। आगम यात्रा का लाभ सौभाग्यमल जी, विजय कुमार जी, संदीप पारख परिवार ने लिया है। आगम यात्रा पारख निवास स्थान गर्ल्स स्कूल के सामने से 25 अक्टूबर को प्रात: 8 बजे प्रारंभ होगी। आगम यात्रा में प्रत्येक घर से कम से दो व्यक्तियों का शामिल होना आवश्यक है। आगम यात्रा के अन्य लाभार्थी परिवार भूपेन्द्र कोचेटा, घीसूलाल जी-ग्यानचंद जी काष्टया, बागमल जी, अरूण और नवीन सांखला परिवार है। आगम यात्रा में समाज का कोईर् भी परिवार आगम को एक थाली अथवा टोकरी में डेकोरेट कर अपनी प्रस्तुति दे सकता है। सजावट पर प्रथम-द्वितीय और तृतीय तथा सांत्वना पुरूस्कार दिए जाएंगे।
नवरात्रि में साधना के द्वारा अपने नौ ग्रहों को बनाऐं अनुकूल
रविवार को धर्मसभा में साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि नवरात्रि में साधना कर आप आपने नौ ग्रहों को अनुकूल बना सकते है। उन्होंने बताया कि शुक्र ग्रह शक्ति का परिचायक जबकि शनि ग्रह न्याय देवता है। शुक्र को अनुकूल करने के लिए प्रेमशक्ति आवश्यक है।
जिसके जीवन में प्रेम है शुक्र ग्रह उसके अनुकूल हो जाता है। उन्होंने बताया कि शुक्राचार्य असुरों के देवता है और असुरों को उन्होंने अपने प्रेम से काबू में किया है। उन्होंने कहा कि विषय बासना की पूर्ति प्रेम नहीं है, स्वार्थ का नाम प्रेम नहीं है। प्रेम अपेक्षा नहीं करता और वह सिर्फ देना जानता है। जिस घर में प्रेम का वास होता है वहां स्वर्ग तुल्य वातावरण रहता है। उन्होंने बताया कि दिल्ली की कुर्सी पर शासन करना आसान है लेकिन दिल के सिंघासन पर शासन करना मुश्किल है। जिसके हृदय में प्रेम होता है वहीं दिलों पर शासन कर पाता है। जिसके जीवन में पे्रम की प्रधानता है वहां परमात्मा का साकार रूप सामने आ सकता है। शनिग्रह को अपने अनुकूल करने के लिए जीवन में धैर्य और स्थिरता आवश्यक है।