श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्त्वावधान में भगवान महावीरस्वामी निर्वाण कल्याणक उत्तराध्ययन सप्ताह के रुप में स्वाध्याय भवन, चेन्नई में 20 से 25 अक्टूबर तक मनाया गया।
श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान में भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण कल्याणक के रुप में भगवान महावीर की अन्तिम वाणी उत्तराध्ययन सूत्र के मूल का वांचन व विवेचन अति सुन्दर शैली में वरिष्ठ स्वाध्यायी बन्धुवर आर. वीरेन्द्रजी कांकरिया ने किया | स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट,चेन्नई में सम्पन्न उत्तराध्ययन सप्ताह के अंतर्गत स्वाध्यायी बन्धुवर श्री वीरेन्द्रजी कांकरिया द्वारा प्रथम विनयश्रुत से छबीसवें अध्ययन जीवजीवविभाति के वांचन को श्रवण करने श्रावक- श्राविकाओं की सामायिक परिवेश में प्रमोदजन्य उपस्थिति रहीं |
प्रभु महावीर की अन्तिम देशना-वाणी उत्तराध्ययन सूत्र को जैन धर्म की गीता माना जाता हैं व इस सूत्र में छत्तीस अध्ययन हैं | प्रभु महावीर स्वामी के निर्वाण कल्याणक के पावन प्रसंग पर जीवाजीवविभती नामक छत्तीसवें अध्ययन का वांचन सभी श्रदालु भक्तगण स्वाध्याय भवन,साहूकारपेट – चेन्नई में नमस्कार की मुद्रा में खड़े होकर विनययुक्त श्रद्धा भावों से किया |
उपस्थित श्रदालुओं ने नियम-व्रत- उपवास, एकासन-आयम्बिल-नीवी के प्रत्याख्यान किये | जैन संकल्प-तीन मनोरथ व मंगल पाठ के पश्चात भगवान महावीर स्वामी,आचार्य भगवन्तों, उपाध्याय भगवन्त,चरित्र आत्माओं की जयजयकार के साथ भगवान महावीर निर्वाण कल्याणक रुप में उत्तराध्ययन सप्ताह सम्पन्न हुआ।
प्रेषक : आर नरेन्द्र कांकरिया,श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,तमिलनाडु, 24/25-बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट, साहूकारपेट,चेन्नई -600-001