रायपुरम जैन भवन में विराजित जयतिलक जी मरासा ने प्रवचन में बताया कि भगवान ने दो प्रकार के धर्म का प्ररुपण किया। 1 आगार, 2 अणगार | आगार धर्म मे 5 अणुव्रत 3 गुणव्रत 4 शिक्षा व्रत। शिक्षा व्रत मे 10वें व्रत का प्ररुपण हो रहा है।
14 नियम जो कि कोई भी जीव कही भी बैठ कर सकता है। इससे जीवन संतुलित संतुष्ठ और मर्यादित हो जाता है । वह अपने जीवन को संतुलित तब ही कर सकता है जब 14 नियम का पालन करेगा। अभी वह सब काम करना पसन्द करता है जब 14 नियम को समझेगा तो सोचेगा क्या उसकी इच्छाएं कामनाएं शांत हो जाएगी। शांत सरोवर के जैसे 14 नियम करने से इच्छा निरोध हो जाएगी काया मन सब शांत होने लग जाएंगे।
मन को शांत करने के 14 नियम बताए हैं। 14 नियम में जितना रखो कोई बात नहीं लेकिन जीवन को मर्यादित करो। 14 नियम खुद भी करो दुसरो से भी करवाए तो भी खुद के त्याग का दोष नहीं लगेगा। आलू प्याज पीजा बर्गर सब आसक्ति से ग्रहण करता है लेकिन जब समझ आएगी तब उसकी इच्छाएं कामनाएं शांत हो जायेगी।
खुद करना नहीं दूसरे से नहीं करवाना । खुद नही करना दुसरो से करवाना। खुद भी नही करना दुसरो से भी कही करवाना। अपने घर में किसी काम काज से लग जाये उसका आगार, बाकी सब का त्याग। जितना करना पडे उतना रखकर बाकी स्पर्श का भी त्याग कर सकते है। जैसे जमीकंद जिस दिन बनाओ उस दिन का आगार बाकी का त्याग। स्व इच्छा से समझाकर त्याग करवाना। जबरदस्ती नही।
चौविहार या तिविहार करना सूर्यास्त से सूर्योदय तक चौविहार करना। जितना काल रखे उतने काल तक पानी पीना बिना तिविहार कोई शुगर या अन्य बीमारी हो तो रात्रि दस बजे तक खाना खाने के बाद का त्याग करना। शुगर मे जितना उपवास करे उतनी बिमारी कंट्रोल हो जाएगी। एक टायम से ज्यादा खाने का त्याग, दो टायम से ज्यादा खाने का त्याग, तीन टायम से ज्यादा खाने का त्याग, खाने का कन्ट्रोल करने से बिमारियो का कंट्रोल कर सकते है। शरीर मे ओटोमेटिक शिष्टम है। आँख मे कचरा आने पर अपने आप बाहर निकलता है। दांत मे कचरा होता है तो बार – बार जीभ उसी पर जाता है।
जानवरो के बीमारी आती है तो तीन से चिकित्सा करते हैं धुप, छांव, और पानी से नेचुरल चिकित्सा करते है। आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में 14 नियम को समझे और कैसे अपने जीवन को सुरक्षित रखे। शरीर को भी सुरक्षा पाप घटाकर आत्मा की भी सुरक्षा करना जीवन को मर्यादित करके अपनी आत्मा का उद्धार करे। संचालन मंत्री नरेंद्र मरलेचा ने किया।