स्वर्ण मंदिर में विराजित हुईं विशिष्ट अतिदिव्य आकर्षण वाली मूर्तियां
इंदौर। राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि भगवान को पाने का सबसे सरल मार्ग है, भगवान को निष्काम भाव से प्रेम करो। सावन महीने के दूसरे सोमवार को यहां ह्रींकारगिरि तीर्थ धाम स्थित श्री नगिनभाई कोठारी चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में दिव्य भक्ति चातुर्मास कर रहे डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि जब हम पूरी तरह से तन्मय होकर अपनी शांति और पवित्रता की रक्षा करते रहेंगे तो निश्चित एक न एक दिन ईश्वर हमें दर्शन जरुर देते हैं।
ट्रस्टी विजय कोठारी ने बताया कि हृींकारगिरी तीर्थ धाम प्रतिष्ठापित मूलनायक परमात्मा पार्श्वनाथ की प्रतिमा का विधिकारक हेमंत वेदमूथा मकशी द्वारा 50 दिवसीय 18 अभिषेक सोमवार को भी जारी रहा। ट्रस्टी जय कोठारी ने बताया किलाभार्थी वीरेंद्र कुमार-रेखा जैन परिवार रहा। इससे पहले संतश्रीवज्रतिलक जी की निश्रा में प्रतिक्रमण व सामूहिक भक्तामर मंत्र जाप किया गया।
दिव्य भक्ति चातुर्मास कार्यक्रम से जुड़े वीरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि राजस्थान, महाराष्ट्र, हैदराबाद सहित अनेक जगहों से आए श्रद्धालूओं ने डॉ. वसंतविजयजी म.सा. से मांगलिक आशीर्वाद प्राप्त किया। इससे पहले श्रीहृींकारगिरी तीर्थ धाम में गुरुदेव डॉ. वसंतविजयजी म.सा. की निश्रा में श्री हृींकारगिरी तीर्थ धाम में स्वर्ण मंदिर का भव्य उद्घाटन किया गया।
ट्रस्टी विजय कोठारी ने बताया कि इस स्वर्ण मंदिर में कृष्णगिरी पार्श्वनाथ की मूर्ति, माणिभद्रजी की मूर्ति समेत विशिष्ट अतिदिव्य आकर्षण महालक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित की गयी है। उन्होंने बताया कि गुरुदेव डॉ. वसंतविजयजी म.सा. के हाथ से 20 वर्षों से साधना करके, लाखों दीपकों, लाखों कमल के फूलों से असख्ंय जप, ध्यान करके अर्चना की हुई मूर्तियां यहां विराजित की गयी है।
इस स्वर्ण मंदिर का लाभार्थी परिवार भैरुलाल प्रदीपकुमार मुणोत परिवार इंदौर रहा। साथ ही साथ डॉ वसंतविजयजी म.सा. की निश्रा में ही पदमावती प्रवचन मण्डप का फीता खोलकर शुभारम्भ किया गया। लाभार्थी दीपक पंकज भाई परिवार उमास्तानगर इंदौर रहे।