भक्तामर स्त्रोत एवं सामूहिक आयम्बिल अनुष्ठान का आयोजन
‘बहुरत्ना वसुंधरा’ यानी हमारी यह धरती अनेकों प्रकार के रत्नों से भरी पड़ी है। विभिन्न धर्मों के संगम से प्रवाहित हैं। विविधता के बीच सभी का लक्ष्य होता है, साधना के द्वारा सिद्धि को प्राप्त करना – उपरोक्त विचार तेरापंथ सभा भवन में आयोजित भक्तामर स्त्रोत अनुष्ठान के अवसर पर साध्वी अणिमाश्री ने कहे।
मंत्र साधना के साथ तपोसाधना में सलग्न साधकों को सिद्धि के रहस्य बताते हुए साध्वीश्री ने कहा कि हर साधक का लक्ष्य होता हैं, भगवता को प्राप्त करना और सिढ़ी होती है आध्यात्मिक साधना। साधना के अनेक रूपों में एक मंत्र अनुष्ठान भी है। भक्तामर स्त्रोत एक विशिष्ट साधना का प्रयोग हैं। आचार्य मानतुंग द्वारा रचित इस भक्तामर स्त्रोत की साधना श्रद्धा, आस्था और भक्ति भाव से की जाती है, तो भक्तों में भगवता का अवतरण हो जाता है।
साध्वीश्री ने कहा कि भक्तामर जहां साधक के जीवन में आध्यात्मिकता का विकास करता है, वही आधि-व्याधि-उपाधि से निजात दिलाता है। शारीरिक, मानसिक कष्टों को भी काटता है। पारिवारिक, सामाजिक माहौल में भी सौहार्द, सामंजस्य, मैत्री, प्रेम के प्रवाह को प्रवाहित करने में सहायक बनता हैं, बढ़ाता है।
इसका एक-एक श्लोक विविध समस्याओं में समाधान कारक बनता है। हमारे मंत्रविद् आचार्यों ने ऋद्धि एवं मंत्रों की साधना में भक्तामर की साधना का विशिष्ट विधान किया है। तप के साथ इस अनुष्ठान की साधना ओर अधिक पावरफुल बनती है। धर्मसभा में उपस्थित सैकड़ों साधकों को जब साध्वीश्री ने पूरी प्राणशक्ति के साथ भक्तामर के ऋद्धि एवं मंत्रों का समुच्चारण करवाया तो पूरा वातावरण भक्तामर के स्पन्दनों से स्पन्दित बनकर ऊर्जामय बन गया।
साध्वी कर्णिकाश्री, साध्वी सुधाप्रभा, साध्वी समत्वयशा, साध्वी मैत्रीप्रभा ने भक्तामर का सस्वर उच्चारण किया। तेरापंथी सभा के तत्वावधान में सामुहिक आयम्बिल तप अनुष्ठान में लगभग दो सौ भाई-बहनों ने आयम्बिल किये। सभा मंत्री गजेन्द्र खांटेड़ ने आगामी कार्यक्रमों की अवगति दी।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई