चेन्नई. कहते हैं प्रभु या गुरु की एक नजर भक्त के जीवन को आबाद कर देती है और यदि हट जाए तो बर्बाद भी कर सकती है। भगवान के चरण वंदन से संकट दूर हो जाते हैं।
अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी महाप्रज्ञा ने कहा जिस प्रकार जहर की एक बूंद जिंदगी बर्बाद कर देती है उसी प्रकार जिनवाणी अमृत के समान होती है, इसकी यदि उतर जाए तो जीवन का कल्याण हो जाता है।
संसार में जो आया है उसे जाना ही पड़ेगा। संसार में रहें तो कमल की तरह रहें। जीवन का सच मृत्यु को जान-समझकर जीने का प्रयास करें। साध्वीने बताया छठी शिक्षा क्षुल्लक निग्र्रंथ महावीर के समय जैन धर्म का नाम पड़ा।
यह हमें सिखाता है कि राग-द्वेष की गांठ नहीं होनी चाहिए। जिस प्रकार धागे में गांठ होगी तो सूई में धागा अटक जाएगा जिससे सिलाई नहीं होगी, उसी प्रकार मन में यदि गांठ पड़ जाए तो आत्मा मुक्त नहीं हो सकती।
कषाय से मुक्ति हो जाए तो संसार से मुक्ति मिल जाएगी। जब एक दिन जाना है तो फिर राग-द्वेष एवं विषय-कषाय क्यों किए जाएं। साध्वी ने कहा संसार के अंदर कितना मोह है इससे बचना ही बेहतर है। राग-द्वेष का गठान जन्म-मरण बर्बाद कर देगा। साधु पथ बताता है पंथ नहीं। साध्वी कुमुदलता ने मंगलपाठ सुनाया।