चेन्नई. राष्ट्र संत उत्तर भारतीय प्रवर्तक भण्डारी पदम चन्द्र जी म. के जीवन का कण- कण और क्षण-क्षण जन कल्याण एवं मानवता की सेवा हेतु सदैव समर्पित रहा। वे स्व कल्याण के साथ-साथ पर कल्याण को अधिक महत्व देते थे। वास्तव में वे एक युग प्रवर्तक सन्त शिरोमणि थे। यह विचार- श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि ने जैन भवन, साहुकारपेट में व्यक्त किए। उन्होंने कहा पूज्य दादा गुरुदेव भण्डारी श्री पद्म-चन्द्र जी म.से राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, श्रीमती इन्दिरागांधी, प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा, चौधरी ‘भजन लाल, ओम प्रकाश चौटाला, जगदीश टाइटलर, राज्य मंत्री सुषमा स्वराज आदि अनेक राज- नेता, धर्मनेता, अभिनेता, सुप्रसिद्ध उद्योगपति समय- समय पर दर्शन वंदन करने, आशीर्वाद लेने तथा मार्गदर्शन’ प्राप्त करने आते रहते थे।
दूसरी ओर यह भी उतना ही सत्य है कि वे अमीर लोगों की अपेक्षा गरीब, दु:खी, जरूरतमंद लोगों पर अधिक कृपा बरसाते थे। उनकी सद्प्रेरणाओं से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व उत्तर प्रदेश आदि अनेक राज्यों में सैंकड़ों जन कल्याणकारी संस्थाओं का निर्माण हुआ। शिक्षा का क्षेत्र हो या चिकित्सा का समय समय पर गुरुदेव समाज को अपने सद् उपदेशों की मशाल से जगाते रहे। नारी शिक्षा व नारी उत्थान के लिए भी आपने विशेष अभियान चलाए। तत्कालीन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलापति त्रिपाठी ने आपको राष्ट्र संत के पद से भारत सरकार की ओर से अलंकृत कर राष्ट्र द्वारा कृतज्ञता ज्ञापित की। चतुर्विध संघ की ओर से आपको नवयुग सुधारक के अलंकरण से सुशोभित किया गया। आपने हजारों-लाखों लोगों को व्यसन मुक्त जीवन जीने की प्रेरणा दी।
रुपेश मुनि ने बताया कि विजया दशमी (दशहरे) के दिन 5 अक्टूबर को गुरु पद्म जन्म जयंति के साथ साथ युवाचार्य महेन्द्र ऋषि म.की जन्म जयंति सामायिक एवं गुणगान सभा के रूप में मनाई जा रही है। समारोह के चेयरमैन निर्मल मरलेचा ने बताया इस दिन 5000 लोगों के लिए अन्न प्रसादम का भी आयोजन किया जाएगा।