Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

भक्ति में जीवंतता होनी चाहिए – साध्वी सुधाकंवर

भक्ति में जीवंतता होनी चाहिए – साध्वी सुधाकंवर

कोडम्बाक्कम वड़पलनी श्री जैन संघ के प्रांगण में आज तारीख 13 अगस्त शनिवार को प.पू. सुधा कंवर जी म सा ने महाप्रभू महावीर की मंगलमयी वाणी का उद्बोधन करते हुये फरमाया! चतुर्विंशतिस्तव करने से चित्त की निर्मलता बढ़ती है। वासनाएं समाप्त होती है। अहंकार गलकर नष्ट हो जाता है। संचित कर्म वैसे ही नष्ट हो जाते हैं जैसे विशाल रुई के ढेर पर आग की एक चिंगारी पड़ने पर वह जलकर नष्ट हो जाती है। भक्ति में जीवंतता होनी चाहिए समर्पण भाव श्रद्धा भाव होना चाहिए तभी व्यक्ति परमात्मा से साक्षात्कार कर सकता है। सती मीरा की भक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उसकी भक्ति से जहर भी अमृत के रूप में बदल गया, सर्प भी फूलों का हार बन गया भक्ति हो तो ऐसी हो।

सुयशा श्रीजी के मुखारविंद से:-अपने दिमाग को ठंडा रखने का प्रयास करना चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं है कि हम किसी को कुछ कहेंगे नहीं या समझाएंगे नहीं। हम संसार में रहते हैं तो हमें अपने सारे कर्तव्य निभाने पड़ेंगे लेकिन इन कर्तव्यों के मध्य में भी हमें यह ध्यान रखना आवश्यक है कि हमारी मानसिक शांति भंग ना हो।

 जिंदगी में हमें कई सारे अनुभव होते हैं कुछ अनुभव अच्छे होते हैं और कुछ बुरे होते हैं। आगे की जिंदगी को आसान बनाने के लिए हमें अपने बीते काल के अनुभवों से सीख लेना आवश्यक है। क्योंकि हमारी जिंदगी इतनी बड़ी नहीं है कि हम सारी जिंदगी गलतियां करते करते ही गुजार दें। आज की धर्म सभा में मनीषा जी लूंकड ने 28 उपवास के प्रत्याख्यान किए, एवं विमलजी सुराना ने 8 उपवास के प्रत्याख्यान किए। इसी प्रकार कई धर्म प्रेमी बंधुओं ने विविध तपस्याओं के प्रत्याख्यान किए। आज की धर्म सभा में मुंबई, सिंधनूर पुणे एवं चेन्नई के कई उपनगरों से श्रद्धालु उपस्थित हुए।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar