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भक्ति करने से शक्ति और शक्ति से अनुरक्ति पैदा होती है: साध्वीश्री प्रतिभाश्रीजी

भक्ति करने से शक्ति और शक्ति से अनुरक्ति पैदा होती है: साध्वीश्री प्रतिभाश्रीजी

आज विजयनगर स्थानक में विराजित साध्वीश्री प्रतिभाश्रीजी ने गौतमस्वामी द्ववारा भगवान महावीर स्वामी से पूछे गए प्रश्नो के तहत आज 45वें प्रश्न की व्याख्या करते हुए बताया कि सभी साधुओं के 10 प्रकार के नियम की पालना करना अनिवार्य होता है। भक्ति करने से शक्ति और शक्ति से अनुरक्ति पैदा होती है, जिससे जीवात्मा जनम मरण के आवागमन से छुटकारा पा सकती है। साध्वीश्री प्रेक्षा श्रीजी ने कहा कि अच्छा सुनने मात्र से जिवात्मा विरक्त हो जाती है। कई पूर्व के राजाओं की कथाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि निमित्त मात्र बनने से इन्होंने संयम पथ को। अंगीकार कर मोक्ष को प्राप्त कर लिया। साथ मे तुलसी दास जी के उदाहरण से समझाया कि राग में उलझा व्यक्ति भव भव में भटकता रहता है, उनका अपनी पत्नि के प्रति अत्यधिक राग मोह था। उसी के एक उपाहना मात्र के निमित्त से वे महान रचियिता के रूप में प्रख्यात हो गए।

बाहर से पधारे हुए जैनयुवा संघठन के पदाधिकारीगण, sms विहार सेवा ग्रुप के सदस्यों, शांतिनगर महिला मंडल, विल्सन गार्डन महिला मंडल, तिंडीवरम के मंत्री विनोद सुराणा व जैन कांफ्रेंस तमिलनाडु महिला शाखा की मंत्री श्रीमती सुराणा जी एवं कई संघो के पदाधिकारियों ने साध्वीश्री जी के प्रवचन, दर्शन व धर्मचर्चा का लाभ लिया।

संघ के मंत्री कन्हैया लाल सुराणा ने सभी का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। आगामी रविवार को तीन महापुरुषों जैन दिवाकर प पु गुरुदेव श्री मूलचन्द जी म सा, प पु गुरुदेव श्री रामेशमुनि जी म सा, मेवाड़ संघ महानायक प पु श्री सोभाग्य मुनि जी म सा की पुण्य स्मृति दिवस सामूहिक सामायिक के साथ 200 प्रश्नों की ज्ञानार्जन अंताक्षरी प्रियोगिता की पुस्तिका के विमोचन से मनाई जाएगी। 26 सितंबर से 4 ऑक्टोम्बर तक नवरात्रा में विभिन्न जाप एव साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी की मौन साधना तथा 5 ता को महामंगलकारी मंगलपाठ के कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत की।

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